Thursday, October 1, 2015

सेवा परम धर्म

एक बार की बात है एक जंगल में सेब का एक
बड़ा
पेड़ था| एक बच्चा रोज उस पेड़ पर खेलने
आया
करता था| वह कभी पेड़ की डाली से लटकता
कभी
फल तोड़ता कभी उछल कूद करता था, सेब का
पेड़
भी उस बच्चे से काफ़ी खुश रहता था| कई साल
इस
तरह बीत गये| अचानक एक दिन
बच्चा कहीं चला गया और फिर लौट के नहीं
आया,
पेड़ ने उसका काफ़ी इंतज़ार किया पर वहनहीं
आया| अब तो पेड़ उदासहो गया । काफ़ी साल
बाद
वह बच्चा फिर से पेड़ के पास आया पर वह अब
कुछ बड़ा हो गया था| पेड़ उसे देखकर काफ़ी
खुश
हुआ और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा|
पर
बच्चा उदास होते हुए बोला कि अब वह बड़ा हो
गया है अब वह उसके साथ नहीं खेल सकता|
बच्चा बोला की अब मुझे खिलोने से खेलना
अच्छा
लगता है पर मेरे पास खिलोने खरीदने के लिए
पैसे
नहीं है| पेड़ बोला उदास ना हो तुम मेरे फल तोड़
लो
और उन्हें बेच कर खिलोने खरीद लो| बच्चा
खुशी
खुशी फल तोड़ के ले गया लेकिन वह फिर बहुत
दिनों तक वापस नहीं आया| पेड़ बहुत दुखी
हुआ|
अचानक बहुत दिनों बाद बच्चा जो अब जवान
हो
गया था वापस आया, पेड़ बहुत खुश हुआ और
उसे
अपने साथ खेलने के लिए कहा पर लड़के
ने कहा कि वह पेड़ के साथ नहीं खेल सकता अब
मुझे कुछ पैसे चाहिए क्यूंकी मुझे अपने बच्चों
के
लिए घर बनाना है| पेड़ बोला मेरी शाखाएँ बहुत
मजबूत हैं
तुम इन्हें काट कर ले जाओ और अपना घर बना
लो| अब लड़के ने खुशी खुशी सारी शाखाएँ काट
डालीं और लेकर चला गया| वह फिर कभी वापस
नहीं आया| बहुत दिनों बात जब वह वापिस
आया
तो बूढ़ा हो चुका था पेड़ बोला मेरे साथ खेलो पर
वह
बोला की अब में बूढ़ा हो गया हूँ अब नहीं खेल
सकता| पेड़ उदास होते हुए बोला की अब मेरे
पास
ना फल हैं और ना ही लकड़ी अब में तुम्हारी मदद
भी नहीं कर सकता| बूढ़ा बोला की अब उसे कोई
सहायता नहीं चाहिए बस एक जगह चाहिए जहाँ
वह
बाकी जिंदगी आराम से गुजर सके| पेड़ ने उसे
अपने जड़ मे पनाह दी और बूढ़ा हमेशा वहीं रहने
लगा| मित्रों इसी पेड़ की तरह हमारे माता पिता
भी
होते हैं, जब हम छोटे होते हैं तो उनके साथ
खेलकर
बड़े होते हैं और बड़े होकर उन्हें छोड़ कर चले
जाते
हैं और तभी वापस आते हैं ,जब हमें कोई ज़रूरत
होती है| धीरे धीरे ऐसे ही जीवन बीत जाता है|
हमें पेड रूपी माता पिता की सेवा करनी चाहिए नाकी सिर्फ़ उनसे फ़ायदा लेना चाहिए।

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