Saturday, October 3, 2015

मिलने कहाँ से आए

कपड़े हो गए छोटे
लाज कहा से आए
रोटी हो गई ब्रैड
ताकत कहा से आए
फूल हो गए प्लास्टिक के
खुशबू कहा से आए
चेहरा हो गया मेकअप का
रूप कहाँ से आए
शिक्षक हो गए टयुशन के
विद्या कहाँ से आए
भोजन हो गए होटल के
✊ तंदरुस्ती कहाँ से आए
प्रोग्राम हो गए केबल के
संस्कार कहाँ से आए
आदमी हो गए पैसे के
दया कहाँ से आए
धंधे हो गए हायफाय
बरकत कहाँ से आए
भक्ति करने वाले स्वार्थी हो गए
भगवान कहाँ से आए
रिश्तेदार  हो गये व्हाट्सऐप के
मिलने कहाँ से आए

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