किसे सुनाएँ अपने गम के चन्द पन्नो के किस्से....
यहाँ तो हर शक्स भरी किताब लिए बैठा है....
गम की भी तासिरे यूँ दिखा सकता हूँ मै,
अपनी आँख का आँसु उनकी आँख से गिरा सकता हूँ मै।
सबको निशाना करते करते
ख़ुदको मार गिराया हमने ,.,!!!
हर बात मानी है तेरी सर झुका कर ए ज़िंदगी
हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्त मान मेरी
नफ़रत सी हो गई हैँ इस दुनिया से, एक तुम से मोहब्बत करके॥....
तूम मिल गयी थी,
तो खुदा नाराज़ हो गया था मुझसे,
कहता था…
अब तो तूं कुछ मांगता ही नहीं है..
समझ नहीं आता उदासी के बाज़ार में !!
कहाँ-कहाँ खर्च करूँ ख़ुशी !!
तकलीफ ये नही की किस्मत ने मुझे धोखा दिया अफसोस तो ये हे की मेरा यकीन तुम पर था किस्मत पर नही..
तुम भी कर के देख लो मोहब्बत किसी से; जान जाओगे कि हम मुस्कुराना क्यों भूल गए।
मालूम सबको है जिंदगी बेहाल है..
लोग फिर भी पूछते है क्या हाल है..
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