Friday, September 23, 2016

हँसना तो पड़ेगा यारा

हँसना तो पड़ेगा यारा

चार उलटे सवाल + एक बोनस सवाल

कम से कम समय में जवाब देना है..
चलो आपका दिमाग देखते है..

पहला सवाल
*
आपने एक रेस में भाग लिया
और आपने दूसरे नंबर वाले रेसर को पीछे छोड़ दिया
बताओ आप किस नंबर पर पहुँच गए ..??
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अगर आपका जवाब है पहले नंबर पर..
तो ये गलत जवाब है

आप दूसरे नंबर वाले रेसर को पीछे छोड़कर उसके स्थान पर आ गए हो मतलब आपका स्थान दूसरा है..

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चलो दूसरा सवाल
कम से कम समय में जवाब देना है..
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आपने एक रेस में भाग लिया
और आपने सबसे पीछे वाले रेसर को पीछे छोड़ दिया
बताओ आप किस नंबर पर पहुँच गए ..??
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अगर आपका जवाब है सेकंड लास्ट नंबर पर..
तो ये गलत जवाब है

जो सबसे पीछे है उसे आप पीछे कैसे छोड़ सकते हो

आप उससे आगे हो तभी तो वो सबसे पीछे है
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चलो तीसरा सवाल
पहले से कम समय में जवाब देना है..
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उलझाने वाला गणित है लेकिन आसान है इसलिए पेन पेन्सिल और कैलकुलेटर का इस्तेमाल नहीं करना है
सिर्फ दिमाग इस्तेमाल करना है..
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1000 ले. अब उसमे 40 जोड़े. अब उसमे 1000 और जोड़े. अब इसमें 30 जोड़े. अब इसमें 1000 और जोड़े. अब इसमें 20 और जोड़े अब इसमें 1000 और जोड़े. अब इसमें 10 और जोड़े बताओ कितना जोड़ हुआ..??
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क्या आपका उत्तर 5000 है..??

यह गलत है इसका जवाब है 4100.
अगर आप चाहे तो अब पेन पेन्सिल और कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हो..!!

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चलो चौथा सवाल
पहले से कम समय में जवाब देना है..
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मैरी के पिता की पांच बेटी है
1. टाना
2. टेने
3. टिनी
4. टोनो
बताओ पांचवी का क्या नाम होगा
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क्या जवाब है .. टुनु
नहीं पांचवी बेटी का नाम मैरी है ऊपर लिखा तो था..!!

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पांचवा आखिरी सवाल बोनस वाला
पहले से कम समय में जवाब देना है..
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एक गूंगे आदमी को ब्रश लेना है तो वह दुकानदार से ब्रश कैसे मांगेगा..??

जवाब - मुंह खोलके दांत दिखाकर ऊँगली से ब्रश की तरह इशारा करके ठीक है ना

सवाल ये नहीं है
सवाल तो ये है की एक अँधा आदमी दुकानदार से चस्मे के लिए कैसे इशारा करेगा..??
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जवाब - अपने हाथों से आँखों पर चस्मे की तरह की आकिृति बनाकर.. है ना..

गलत जवाब
अँधा आदमी दुकानदार से बोलकर चस्मा मांगेगा वो गूंगा नहीं है..

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हँसना तो पड़ेगा यारा
अब सही सही बताना आपने कितने जवाब सही दिए..??

वेद की आज्ञाओं का उलंघन

☀ आईये वेदों की ओर लौट चलें ☀
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  जानिए वेद की आज्ञाओं के उल्लंघन का कितना भयंकर परिणाम हो सकता है ? भारत की दुर्गति के पीछे वेद की आज्ञाओं का उलंघन ही था ।

  पहली आज्ञा  :
  अक्षैर्मा दीव्य: (ऋ 10/34/13)
  अर्थात् "जुआ मत खेलो ।" इस आज्ञा का उलंघन हुआ । इस आज्ञा का उल्लंघन धर्मराज कहे जाने वाले युधिष्टर ने किया ।

  परिणाम  :  एक स्त्री का भरी सभा में अपमान । महाभारत जैसा भयंकर युद्ध जिसमें लाखों, करोड़ों योद्धा और हज़ारों विद्वान मारे गए । आर्यवर्त पतन की ओर अग्रसर हुआ ।

  दूसरी आज्ञा  :
  मा नो निद्रा ईशत मोत जल्पिः (ऋ 8/48/14)
  अर्थात् "आलस्य, प्रमाद और बकवास हम पर शासन न करें ।" लेकिन इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ । महाभारत के कुछ समय बाद भारत के राजा आलस्य प्रमाद में डूब गये ।

  परिणाम  :  विदेशियों के आक्रमण ।

  तीसरी आज्ञा  :
  सं गच्छध्वं सं वद्ध्वम (ऋ 10/191/2)
  अर्थात् "मिलकर चलो और मिलकर बोलो ।" वेद की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ । जब विदेशियों के आक्रमण हुए तो देश के राजा मिलकर नहीं चले । बल्कि कुछ ने आक्रमणकारियों का ही सहयोग किया ।

  परिणाम  :  लाखों लोगों का कत्ल, लाखों स्त्रियों के साथ दुराचार, अपार धन-धान्य की लूटपाट, गुलामी ।

  चौथी आज्ञा  :
  कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो में सव्य आहितः (अथर्व 7/50/8)
  अर्थात् "मेरे दाएं हाथ में कर्म है और बाएं हाथ में विजय ।" वेद की इस आज्ञा का उल्लंघन हुआ । लोगों ने कर्म को छोड़कर ग्रहों फलित ज्योतिष आदि पर आश्रय पाया ।

  परिणाम  :  कर्महीनता, भाग्य के भरोसे रहकर आक्रान्ताओं को मुँहतोड़ जवाब न देना । धन-धान्य का अपव्यय, मनोबल की कमी और मानसिक दरिद्रता ।

  पाँचवीं आज्ञा  :
  उतिष्ठत सं नह्यध्वमुदारा: केतुभिः सह ।
        सर्पा इतरजना रक्षांस्य मित्राननु धावत ।।
                    (अथर्व 11/10/1)
  अर्थात् "हे वीर योद्धाओ ! आप अपने झण्डे को लेकर उठ खड़े हो और कमर कसकर तैयार हो जाओ । हे सर्प के समान क्रुद्ध रक्षाकारी विशिष्ट पुरुषो ! अपने शत्रुओं पर धावा बोल दो ।" वेद की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ । जब लोगों के बीच बुद्ध ओर जैन मत के मिथ्या अहिंसावाद का प्रचार हुआ । लोग आक्रमणकारियों को मुँहतोड़ जवाब देने की बजाय मिथ्या अहिंसावाद को मुख्य मानने लगे ।

  परिणाम  :  अशोक जैसे महान योद्धा का युद्ध न लड़ना । विदेशियों के द्वारा इसका फायदा उठाकर भारत पर आक्रमण ।

  छठी आज्ञा  :
  मिथो विघ्राना उप यन्तु मृत्युम (अथर्व 6/32/3)
  अर्थात् "परस्पर लड़ने वाले मृत्यु का ग्रास बनते हैं और नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं ।" वेद की इस आज्ञा का उलंघन हुआ ।

  परिणाम  :  भारत के योद्धा आपस में ही लड़-लड़कर मर गये और विदेशियों ने इसका फायदा उठाया ।

  सातवीं आज्ञा  :
  न तस्य प्रतिमा अस्ति
  अर्थात् "ईश्वर का कोई प्रतिमान नहीं है ।" लेकिन इस आज्ञा का उलंघन हुआ और परिणाम आपके समक्ष है ।

  परिणाम  :  ईश्वर के सत्य स्वरुप को छोड़कर भिन्न स्वरुप की उपासना और सत्य धर्म को भूला देना ।

☀  तो आइये, फिर से वेदों की ओर लौट चलें . . .

Monday, September 19, 2016

Opportunities

Opportunities Are Equal For All,
But The Difference Is That :-

Positive Person Gives RESULTS & Negative Person Gives REASONS.

आँख

*आँख दुनिया की हर एक चीज देखती है,*

*मगर जब आँख के अन्दर कुछ चला जाए तो उसे आँख नहीं देख पाती है।*

*बिल्कुल इसी तरह इंसान दूसरे की ग़लती तो देखता है पर अपनी गलती उसे नजर नही आती है।*
    

Sunday, September 18, 2016

लड़की से प्यार

एक लड़के को एक लड़की से प्यार हो
गया..
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लेकिन लड़की ने उसे ठुकरा दिया..
:
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लड़के ने कहा "तुम 10 दिन के अंदर मेरी
मोहब्बत का
इकरार करोगी..
:
:
और लड़का दिन रात
बारिश मे धूप मेँ
उसके घर के सामने खड़ा रहा..
:
.
9 दिन बाद लड़की को सच मे लड़के के प्यार का अहसास हो गया
और
उसने सोचा सुबह जाकर प्यार का
इकरार करूंगी,
:
.
लेकिन जब वो सुबह वहां पर गयी तो लड़का उसे
वहां नही मिला,
.
और एक कागज मिला जिस
पर लिखा था
.
"तेरे चक्कर मे तेरी बहन
Set हो गयी है" Sorry साली साहिबा..

Jokes unlimited

रामायण में एक पात्र था “बाली” 

बाली के सामने जो भी जाता था...
उसका आधा बल *बाली* में चला जाता था।

तभी... मुझे तुरंत याद आया कि...
ऐसा तो बिल्कुल मेरे साथ भी होता हैं...

क्योंकि...

जैसे ही मैं घरवाली के सामने जाता हूँ...
मुझे काफी कमजोरी सी लगने लगती हैं..
और चक्कर भी आने लगते हैं...
 
ऐसा लगता कि “बाली” कहीं न कहीं इस युग में,
*"घर-बाली"* के रूप में अवतरित हो गये हैं।

एक आदमी ने मुझसे पूछा .... भाई साहब जूते कंहा
मिलेंगे..?

मैंने कहा....हर जगह मिल सकते हैं ।

बस आप में वो गुण होने
चाहिए

बीवी:-अजी सुनते हो ,,,,,,,,,
,
खुशनसीब को इंग्लिस में क्या कहते हैं
,
,
पति:-अनमैरिड
,
,दे बेलन ,,,दे चिमटा ....
एक लड़की अपने प्रोफेसर के कमरे में गयी और बोली...

मै पास होने के लिये कुछ भी करने को तैयार
हूँ....
.
प्रोफेसर- कुछ भी...??
.
लड़की- हाँ कुछ भी....
.
.
प्रोफेसर- तो पढ़ ले बेटी...

बीवी – सुनो जी, जब हमारी नयी नयी शादी हुई थी तो जब मैं खाना बना कर लाती थी तो तुम खुद कम खाते थे, मुझे ज्यादा खिलाते थे।

पति - तो ?

बीवी – तो अब ऐसा क्यों नहीं करते ?

पति – क्यूंकि अब तुम अच्छा खाना बनाना सीख गयी हो....

बीवी बेहोश
भारतीय नारी आज बहूत टैन्शन मे है ?

क्या करें कुछ समझ मे नही आता  

मंगलसूत्र पहनो तो "चोरों" की नजर

न पहनो तो "छोरों" की नजर

    भारतीय नारी

सबसे छोटी कविता...

सबसे छोटी कविता...
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जिन्दगी एक जंग है,
जबतक बीवी संग है..
सीता से प्यार किया तो राम बन गये

राधा से प्यार किया तो  श्याम बन गये

जबरदस्ती प्यार किया तो आशाराम.......

तुलना से बचें

चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन
में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी
चिंता में आ जाते हैं।
*तुलना से बचें और खुश रहें*।
ना किसी से ईर्ष्या , ना किसी से कोई होड़..!!!
मेरी अपनी हैं मंजिलें , मेरी अपनी दौड़..!!

Saturday, September 17, 2016

I went to a party Mom

This poem made me cry

Please make ur kids read it too.

I went to a party Mom,

I remembered what you said.

You told me not to drink Mom,

So I drank soda instead.

I really felt proud inside Mom,

The way you said I would.

I didn't drink and drive Mom,

Even though the others said I should.

I know I did the right thing Mom,

I know you are always right.

Now the party is finally ending Mom,

As everyone is driving out of sight.

As I got into my car, Mom,

I knew I'd get home in one piece.

Because of the way you raised me,

So responsible and sweet.

I started to drive away Mom,

But as I pulled out into the road,

The other car didn't see me Mom,

And hit me like a load.

As I lay there on the pavement Mom,

I hear the policeman say, "the other guy is drunk," Mom,

And now I'm the one who will pay.

I'm lying here dying, Mom.

I wish you'd get here soon.

How could this happen to me Mom?

My life just burst like a balloon.

There is blood all around me Mom,

And most of it is mine.

I hear the medic say, Mom,

I'll die in a short time.

I just wanted to tell you Mom,

I swear I didn't drink.

It was the others, Mom.

The others didn't think.

He was probably at the same party as I.

The only difference is, he drank and I will die.

Why do people drink, Mom?

It can ruin your whole life.

I'm feeling sharp pains now.

Pains just like a knife.

The guy who hit me is walking, Mom.

And I don't think it's fair.

I'm lying here dying and all he can do is stare.

Tell my brother not to cry, Mom.

Tell Daddy to be brave.

And when I go to heaven, Mom,

Put "GOOD BOY " on my grave.

Someone should have told him, Mom,

Not to drink and drive.

If only they had told him, Mom,

I would still be alive.

My breath is getting shorter, Mom.

I'm becoming very scared.

Please don't cry for me, Mom.

When I needed you, you were always there.

I have one last question, Mom.

Before I say good bye.

I didn't drink and drive,

"So why am I the one to die?"

Someone took the effort to write this poem. So please, forward this to as many people as you can. So that it will make people understand not to mix drinking and driving.

Real Story of Jagjit & Chitra Singh's son who was crushed to death by a drunk boy.
must read

Wednesday, September 14, 2016

चिंता

एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है, उसे बहुत ज्यादा INCOME TAX देना पड़ता है आदि - आदि।
इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था।
एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी।
होमवर्क का टाइटल था ••• वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं।
इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था •••
● मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुंत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं।
● मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं।
● मैं सुबह - सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ।
● मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं।
बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया।
●● मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है।
●● मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं।
●● मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक हैसियत है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं।
●● मैं बहुत ज्यादा INCOME TAX भरता हूँ, इसका मतलब है कि मेरे पास अच्छी नौकरी/व्यापार है और मैं उन लोगों से बेहतर हूँ जो बेरोजगार हैं या पैसों की वजह से बहुत सी चीजों और सुविधाओं से वंचित हैं।
*हे ! मेरे भगवान् ! तेरा बहुंत बहुंत शुक्रिया ••• मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।*
_इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा।_
*हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।*

����शुभ संध्या ��

जल झूलनी एकादशी / ड़ोलग्यारस का महत्व

जल झूलनी एकादशी / ड़ोलग्यारस का महत्व -
इस दिन माँ यशौदा भगवान श्री कृष्ण के जन्म के वाद भगवान के वस्त्रों को धोने के लिए यमुना नदी पर जाती हैं ।
आज पहली वार भगवान कृष्ण ने सूर्य देव के दर्शन किये थे ।
माँ यशौदा ने आज ही के दिन सूर्य की पूजा की थी ।
आज ही के दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था ।
 

Sunday, September 11, 2016

कहाँ है  बुद्धिजीवी....??

लापता बुद्धिजीवी ...
कहाँ है  बुद्धिजीवी....???

Tuesday को  ईद है लेकिन मुझे अभी तक बुद्धिजीवियों की वह फ़ौज नहीं दिखायी दे रही...

जिनके सारे पक्षी मकर संक्राति पर पतंग उड़ाने से मर रहे थे ,

दिवाली के पटाखों से पूरा विश्व प्रदूषित हो जाता है ,

होली खेलने से इतना पानी बर्बाद हो जाता है कि पूरा विश्व संभवतः प्यासा मरने की कगार पर पहुँचने ही वाला होता है,

सरस्वती पूजा एवं गणेश उत्सव में मूर्ति विसर्जन से नदी प्रदूषित होती है,

शिवरात्रि पर दुध का व्यय होता है,

नवरात्रि पर आवाज़ का प्रदूषण रात को 12 बजे के बाद बंद...

शनिजयंती को तेल का व्यय,

बहुत चिंता होती है इन बुद्धिजीवियों को देश की, समाज  की,

पर्यावरण की ...भई नमन है इन तथाकथित बुद्धिजीवियों को । परन्तु एक सवाल अब तक मरे मन को विचलित कर रहा है कि...

ईद पर अनगिनत बेजुबान को क़त्ल कर दिया जायेगा...

फिर उनके खून को साफ़ करने के लिए लाखों लीटर पानी बहाया जायेगा,

इन बेजुबानों की हड्डियों को नदियों में एवं इधर - उधर फेंक कर बदबू फैलाई जायेगी... 

तो इन बेजुबानों को बचाने के लिए इन महान बुद्धिजीवियों की अपील क्यों नहीं आई ??

सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक एक भी बुद्धिजीवी मुझे ये कहता या किसी को ये समझाता नजर नहीं आया कि इको-फ्रेंडली ईद मनाओ,

मिट्टी का या लकड़ी का बकरा बनाओ,

बेजुबानो को मत काटो

क्यों नही, बोल रहे हो ? क्या सारा ज्ञान केवल हिंदुओं के पर्वों पर ही उमड़ता है ?

क्या इन बेजुबान कटते जानवरो के लिए तुम्हारा दिल नहीं रोता जिन्हें जानबूझकर क़त्ल किया जायेगा सिर्फ दावतें उड़ाने को,

अगर सच में तुम्हें इतनी चिंता है तो एक बार तो अपील कर दो इनको बचाने की...

गरीबी

एक पाँच साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर मंदिर के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोडकर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था.
कपड़े में मेल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे।
बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था।
जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा-
"क्या मांगा भगवान से"
उसने कहा-
"मेरे पापा मर गए हैं उनके लिए स्वर्ग,
मेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्र,
मेरी बहन माँ से कपडे सामान मांगती है उसके लिए पैसे"।
"तुम स्कूल जाते हो"
अजनबी का सवाल स्वाभाविक सा सवाल था।
"हां जाता हूं" उसने कहा।
"किस क्लास में पढ़ते हो ?" अजनबी ने पूछा
"नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ, बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है" बच्चे का एक एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था ।
"तुम्हारा कोई रिश्तेदार"
न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा।
"पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता,
माँ झूठ नहीं बोलती,
पर अंकल,
मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है,
जब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती है,
जब कहता हूँ
माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मेंने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है "
"बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ?"
"बिल्कुलु नहीं"
"क्यों"
"पढ़ाई करने वाले गरीबों से नफरत करते हैं अंकल,
हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा - पास से गुजर जाते हैं"
अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी।
फिर उसने कहा
" हर दिन इसी इस मंदिर में आता हूँ, कभी किसी ने नहीं पूछा - यहा सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे - मगर हमें कोई नहीं जानता
"बच्चा जोर-जोर से रोने लगा" अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं ?"
मेरे पास इसका कोई जवाब नही था और ना ही मेरे पास बच्चे के सवाल का जवाब है।
ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं
बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद यतिमो, बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए......................... मंदिर मे सीमेंट या अन्न की बोरी देने से पहले अपने आस - पास किसी गरीब को देख लेना शायद उसको आटे की बोरी की ज्यादा जरुरत हो।

आपको प्रसंद आऐ तो सब काम छोडके ये मेसेज कम से कम एक या दो गुरुप मे जरुर डाले |
कही किसी गुरुप मे कोई ऐसा देवता ईन्सान मील जाऐ
कही ऐसे बच्चो को अपना भगवान मिल जाए |
कुछ समय के लिए एक गरीब बेसहारा कि आँख मे आँख डालकर देखे आपको क्या मेहसूस होता है
फोटो या विडियो भेजने कि जगह ये मेसेज कम से कम एक या दो गुरुप मे जरुर डाले|

*स्वयं में व समाज में बदलाव लाने के प्रयास जारी रखें।*
धन्यवाद

Saturday, September 10, 2016

तुलना से बचें

चिंतनमाला

चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन
में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी
चिंता में आ जाते हैं।
*तुलना से बचें और खुश रहें*

ना किसी से ईर्ष्या , ना किसी से कोई होड़,
मेरी अपनी मंजिलें मेरी अपनी दौड़..!!

Friday, September 9, 2016

जीत पक्की है

जीत पक्की है

कुछ करना है, तो डटकर चल।
         *थोड़ा दुनियां से हटकर चल*।
लीक पर तो सभी चल लेते है,
      *कभी इतिहास को पलटकर चल*।
बिना काम के मुकाम कैसा?
          *बिना मेहनत के, दाम कैसा*?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
        *तो राह में, राही आराम कैसा*?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
          *ना कोई बहाना रख*।
जो लक्ष्य सामने है, 
बस उसी पे अपना ठिकाना रख।
          *सोच मत, साकार कर*,
अपने कर्मो से प्यार कर।
          *मिलेंगा तेरी मेहनत का फल*,
किसी और का ना इंतज़ार कर।
    *जो चले थे अकेले*
       *उनके पीछे आज मेले हैं*।
    जो करते रहे इंतज़ार उनकी
  जिंदगी में आज भी झमेले है!

Thursday, September 8, 2016

आईना


बहुत पुरानी बात है ....
एक अफ्रीकन  अपने परिवार के साथ जंगल में ही रहता था ....
उसने और उसके परिवार ने कभी आईना नहीं देखा था ...
एक दिन जंगल में उसे शीशा मिल गया...
उसमें खुद को देखकर समझा कि उसके बाप की तस्वीर है...
और वो उसे अपने घर ले गया और रोज बातें करने लगा...
उसकी बीवी को शक़ हुआ...
एक दिन जब उसका पति घर से बाहर गया हुआ था तब उसने वो शीशा निकाला...
खुद अपनी शक्ल देखकर बोली :
'अच्छा...
तो ये है वो कल-मूही
जिस से मेरा पति रोज़ बातें करता है '
उसने शीशा अपनी सास को दिखाया,
तो सास बोली :
'चिंता मत कर...
शुक्र मना...
बुड्ढी है ,
जल्दी ही मर जाएगी' ...

नाराज हो जाओ तो

किसी से नाराज हो जाओ तो बस इतने
फासले पर ही होना जो -
एक कदम...
एक स्पर्श....
एक मुस्कुराहट...
एक आंसू.....
एक शब्द
या
प्रेम से भरी एक नजर से सब कुछ
भूल कर वापस और सम्बन्ध सोहाद्र-पूर्ण हो जाए।
जीवन का क्या भरोसा,
ना जाने कौनसी साँस आख़री हो।
हम क्या साथ लाए थे और साथ क्या ले जाएंगे!
इसीलिए सारी कड़वाहटों को यहीं मिटाना है और
अच्छी यादों के साथ निकल जाना है।!!

Sunday, September 4, 2016

मुस्कुराहट का महत्व

*मुस्कुराहट का महत्व*

_*अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।_*

_*अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।*_

_*अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*_

_*अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*

_*अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।_*

_*अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।*

_*कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।_*

_*मुस्कुराइए, क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।”_*

_*मुस्कुराइए ,क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।”*_

_*मुस्कुराइए, क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।”*_

_*मुस्कुराइए, क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है”*

       *और सबसे बड़ी बात*

_*"मुस्कुराइए, क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।”*_

*_इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औराें के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं,_*
_*यही जीवन है।*_

_*आनंद ही जीवन है।।*_

।।।।