Tuesday, April 26, 2016

भगवान की प्लानिंग

((((( भगवान की प्लानिंग )))))
एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है,
भगवान-
आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे,
.
एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बन
कर
खड़ा हो जाता हूं, आप मेरा रूप धारण कर
घूम
आओ l
.
भगवान मान जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं
कि
जो
भी लोग प्रार्थना करने आयें, तुम बस
उनकी
प्रार्थना सुन लेना कुछ बोलना नहीं,
.
मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है,
सेवक
मान जाता है l
.
सबसे पहले मंदिर में बिजनेस मैन आता है और
कहता है, भगवान मैंने एक नयी फैक्ट्री
डाली
है,
उसे खूब सफल करना l
.
वह माथा टेकता है, तो उसका पर्स नीचे
गिर
जाता
है l वह बिना पर्स लिये ही चला जाता
है l
.
सेवक बेचैन हो जाता है. वह सोचता है
कि रोक
कर
उसे बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन शर्त
की
वजह से वह नहीं कह पाता l
.
इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और
भगवान
को कहता है कि घर में खाने को कुछ नहीं.
भगवान
मदद करो l
.
तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ती है. वह
भगवान
का शुक्रिया अदा करता है और पर्स लेकर
चला
जाता है l
.
अब तीसरा व्यक्ति आता है, वह नाविक
होता
है l
.
वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के
लिए
जहाज लेकर समुद्र की यात्रा पर जा
रहा हूं,
यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान..
.
तभी पीछे से बिजनेस मैन पुलिस के साथ
आता है
और कहता है कि मेरे बाद ये नाविक आया
है l
.
इसी ने मेरा पर्स चुरा लिया है,पुलिस
नाविक
को ले
जा रही होती है तभी सेवक बोल पड़ता
है l
.
अब पुलिस सेवक के कहने पर उस गरीब आदमी
को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है.
.
रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी
खुशी
पूरा
किस्सा बताता है l
.
भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम
बनाया
नहीं,
बल्कि बिगाड़ा है l
.
वह व्यापारी गलत धंधे करता है,अगर
उसका
पर्स
गिर भी गया, तो उसे फर्क नहीं पड़ता
था l
.
इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह
पर्स
गरीब इंसान को मिला था. पर्स
मिलने पर
उसके
बच्चे भूखों नहीं मरते.
.
रही बात नाविक की, तो वह जिस
यात्रा पर
जा रहा
था, वहां तूफान आनेवाला था,
.
अगर वह जेल में रहता, तो जान बच जाती.
उसकी
पत्नी विधवा होने से बच जाती. तुमने
सब
गड़बड़
कर दी l
.
कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी
प्रॉब्लम
आती है,
जब हमें लगता है कि ये मेरे साथ ही
क्यों हुआ l
.
लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग
होती
है l
.
जब भी कोई प्रॉब्लमन आये. उदास मत
होना l
.
इस कहानी को याद करना और सोचना
कि जो
भी
होता है,i अच्छे के लिए होता है l
Must share to everyone....

Sunday, April 24, 2016

मृत्युभोज खाने से ऊर्जा नष्ट

⭕मृत्युभोज खाने से ऊर्जा नष्ट ⭕
जिस परिवार मे विपदा आई हो उसके साथ ईस संकट की घड़ी मे जरूर  खडे़ हो और तन,मन,और घन से सहयोग करे और मृतक भोज का बहिस्कार करे
गतांग

महाभारत युद्ध होने का था, अतः श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जा कर युद्ध न करने के लिए संधि करने का आग्रह किया, तो दुर्योधन द्वारा आग्रह ठुकराए जाने पर श्री कृष्ण को कष्ट हुआ और वह चल पड़े, तो दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कहा कि

’’सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’’

हे दुयोंधन - जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो, तभी भोजन करना चाहिए।
लेकिन जब खिलाने वाले एवं खाने वालों के दिल में दर्द हो, वेदना हो।
तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं करना चाहिए।

हिन्दू धर्म में मुख्य 16 संस्कार बनाए गए है, जिसमें प्रथम संस्कार गर्भाधान एवं अन्तिम तथा 16वाँ संस्कार अन्त्येष्टि है। इस प्रकार जब सत्रहवाँ संस्कार बनाया ही नहीं गया तो सत्रहवाँ संस्कार तेरहवीं संस्कार कहाँ से आ टपका।

इससे साबित होता है कि तेरहवी संस्कार समाज के चन्द चालाक लोगों के दिमाग की उपज है।
किसी भी धर्म ग्रन्थ में मृत्युभोज का विधान नहीं है।
बल्कि महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। लेकिन जिसने जीवन पर्यन्त मृत्युभोज खाया हो, उसका तो ईश्वर ही मालिक है।
इसी लिए महार्षि दयानन्द सरस्वती,, पं0 श्रीराम शर्मा, स्वामी विवेकानन्द जैसे महान मनीषियों ने मृत्युभोज का जोरदार ढंग से विरोध किया है।

जिस भोजन बनाने का कृत्य जैसे लकड़ी फाड़ी जाती तो रोकर, आटा गूँथा जाता तो रोकर एवं पूड़ी बनाई जाती है तो रोकर यानि हर कृत्य आँसुओं से भीगा।
ऐसे आँसुओं से भीगे निकृष्ट भोजन एवं तेरहवीं भेाज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कर समाज को एक सही दिशा दें।

जानवरों से सीखें,

जिसका साथी बिछुड़ जाने पर वह उस दिन चारा नहीं खाता है। जबकि 84 लाख योनियों में श्रेष्ठ मानव,
जवान आदमी की मृत्यु पर हलुवा पूड़ी खाकर शोक मनाने का ढ़ोंग रचता है।

इससे बढ़कर निन्दनीय कोई दूसरा कृत्य हो नहीं सकता।

           यदि आप इस बात से
सहमत हों, तो आप आज से
संकल्प लें कि आप किसी के
मृत्यु भोज को ग्रहण नहीं करंगे।

ग्रुप के सभी सम्मानित सदस्यों से परम् आग्रह है
इस पोस्ट को अधिक से अधिक ग्रुप में शेयर करे ।

मृत्युभोज समाज में फैली कुरीुति है व समाज के लिये अभिशाप है ।
समाज हित में....   

यही जिंदगी है।

लोहे की एक छड़ का मूल्य होता है 250 रूपये.
इससे घोड़े की नाल बना दी जाये
तो इसका मूल्य हो जाता है 1000 रूपये.
इससे सुईयां बना दी जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 10,000 रूपये.

इससे घड़ियों के बैलेंस स्प्रिंग बना दिए जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 1,00,000 रूपये... --

"आपका अपना मूल्य-- इससे निर्धारित नहीं होता कि आप क्या है बल्कि इससे निर्धारित होता है कि आप में खुद को क्या बनाने की क्षमता है"!!!!
इतने छोटे बनिए कि
हर कोई आपके साथ बैठे,
..ओर इतने बड़े बनिए कि
आप खड़े हो तो कोई बैठा न रहे..!!

कभी कभी
आप अपनी जिंदगी से
निराश हो जाते हैं,
जबकि
दुनिया में उसी समय
कुछ लोग
आपकी जैसी जिंदगी
जीने का सपना देख रहे होते हैं।

घर पर खेत में खड़ा बच्चा
आकाश में उड़ते हवाई जहाज
को देखकर
उड़ने का सपना देख रहा होता है,
परंतु
उसी समय
उसी हवाई जहाज का पायलट
खेत ओर बच्चे को देख
घर लौटने का सपना
देख रहा होता है।

यही जिंदगी है।
जो तुम्हारे पास है उसका मजा लो।

अगर धन-दौलत रूपया पैसा ही
खुशहाल होने का सीक्रेट होता,
तो अमीर लोग नाचते दिखाई पड़ते,
लेकिन सिर्फ गरीब बच्चे
ऐसा करते दिखाई देते हैं।

अगर पाॅवर (शक्ति) मिलने से
सुरक्षा आ जाती
तो
नेता अधिकारी
बिना सिक्युरिटी के नजर आते।
परन्तु
जो सामान्य जीवन जीते हैं,
वे चैन की नींद सोते हैं।

अगर खुबसुरती और प्रसिद्धि
मजबूत रिश्ते कायम कर सकती
तो
सेलीब्रिटीज् की शादियाँ
सबसे सफल होती।
जबकि इनके तलाक
सबसे सफल होते हैं

इसलिए दोस्तों,
यह जिंदगी ......

सभी के लिए खुबसुरत है
इसको जी भरकर जीयों,
इसका भरपूर लुत्फ़ उठाओ
क्योंकि
जिदंगी ना मिलेगी दोबारा...

सामान्य जीवन जियें...
विनम्रता से चलें ...
और
ईमानदारी पूर्वक प्यार करें...

स्वर्ग यहीं हैं...

Friday, April 22, 2016

Stay Connected


   
    ''Alone I can 'Say' but
    together we can 'talk'.
    'Alone I can 'Enjoy' but
     together we can
    'Celebrate'.
    'Alone I can 'Smile' but
    together we can 'Laugh'.
    That's the BEAUTY of
    Human Relations.
    We are nothing without
    each other
  
Stay Connected and be successful in life !!.

Thursday, April 21, 2016

सपनों का सौदागर 


रात में एक चोर घर में घुसl । कमरे का दरवाजा खोला तो बरामदे पर एक बूढ़ी औरत सो रही थी।

खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा
तो वह लेटे लेटे बोली

'' बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो। चलो कोई बात नहीं। अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी
है ।

इसमें का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना। मगर
पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब
देखा है । वह सुनकर जरा मुझे इसका मतलब तो बता
दो।"

चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा अभिभूत हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया।

बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया

''बेटा, मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ। ऐसे
में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर जोर
से बोला अभिलाष!  अभिलाष!  अभिलाष !!!

बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई। जरा बताओ तो इसका क्या मतलब हुई? ''

चोर सोच में पड़ गया। इतने में बराबर वाले कमरे से
बुढ़िया का नौजवान बेटा अभिलाष अपना नाम
ज़ोर ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की
जमकर धुनाई कर दी।

बुढ़िया बोली ''बस करो अब
यह अपने किए की सजा भुगत चुका।"

चोर बोला, "नहीं- नहीं ! मुझे और कूटो , सालों!....

ताकि मुझे आगे याद रहे कि मैं चोर हूँ , सपनों का सौदागर  नहीं। ''

Moral - Don't get emotional,
Be Professional in  your work..

“जिन्दगी” एक प्रोजेक्ट है

“जिन्दगी” एक प्रोजेक्ट है
और
“रिश्ते” एक टारगेट,
“वाईफ” डेली रिपोर्टिंग है
और
“औलाद” इन्सेन्टिव,
“जवानी” एक कमिटमेंट है
और
“बुढ़ापा” एचीवमेंट,
लेकिन… ………………………
“मित्रता” सेलरी है
और
“सेलरी” को कोई कभी नहीं भूलता,
जो वक्त के साथ साथ बढ़ती जाती है,
और
“पुरानी मित्रता” पेंशन की तरह है जो
मरने के बाद भी चलती रह़ती है ।
सभी मित्रों को समर्पित !

Tuesday, April 19, 2016

सुखमय वृद्धावस्था के लिए 11 विधियां....

*इस सन्देश को धीमी गति से सावधानीपूर्वक पढ़ें क्योंकि यह हमारे जीवन के लिए अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है।*

सुखमय वृद्धावस्था के लिए 11 विधियां....

*1* अपने स्वयं के स्थान पर रहो ताकि स्वतंत्रता और गोपनीयता पूर्वक जीवन जीने का आनंद ले सकें।

*2* अपना बैंक बेलेंस और भौतिक अमूल्य संपत्ति सदा अपने पास रखो।

*3* अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर मत रहो कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है।

*4* उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल करें जो आपके जीवन जीने में सहयोगी बन सकते हैं।

*5* किसी के साथ तुलना नहीं करें और किसी से कोई उम्मीद ना रखें।

*6* अपनी संतानो के जीवन में दखल अन्दाजी ना करें। उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें।

*7* अपनी वृद्धावस्था को आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने, सम्मान पाने का प्रयास ना करें।

*8* लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें।

*9* प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगे, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं। अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफ़ी।

अंतिम 2 बातें और.....

*10* अपने स्वास्थ्य का स्वयं ध्यान रखें। चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें।

*11* अपने जीवन से कभी थकें नहीं।

याद रखें जब तक आप जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं।

*खुशनुमा जीवन की शुभकामनाओं के साथ*

Never Forget Your Past.

BILL GATES in a restaurant.
.
.
After eating, he gave 5$ to the waiter as a tip.
The waiter had a strange feeling on his face after the tip.
.
Gates realized & asked, "What happened?"
.
Waiter: " I'm just amazed B'coz on the same table ur daughter gave Tip Of... 500$... & u her Father, richest man in the world Only Gave 5$...? "
.
Gates Smiled & Replied With Meaningful words,
"She is daughter of the world's richest man, but i am the son of a wood cutter."
.
Moral:- Never Forget Your Past. It's Your Best Teacher.

Friday, April 15, 2016

जीवन मृत्यु

भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर गए।
द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर खुद शिव से मिलने अंदर
चले गए। तब कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा
को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर
एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी।
चिड़िया कुछ इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे
विचार उसकी तरफ आकर्षित होने लगे।
उसी समय कैलाश पर यम देव पधारे और अंदर जाने से
पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की
द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत
निकट है और यमदेव कैलाश से निकलते ही उसे अपने
साथ यमलोक ले जाएँगे।

गरूड़ को दया आ गई। इतनी छोटी और सुंदर
चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उसे अपने
पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोश दूर एक
जंगल में एक चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद
बापिस कैलाश पर आ गया।

आखिर जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ ही लिया
कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी
नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने
उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो
चिड़िया कुछ ही पल बाद यहाँ से हजारों कोस दूर
एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था
कि वो इतनी जलदी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब
जब वो यहाँ नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी
होगी।"

गरुड़ समझ गये "मृत्यु टाले नहीं टलती चाहे कितनी
भी चतुराई की जाए।"

इस लिए कृष्ण कहते है।
करता तू वह है
जो तू चाहता है
परन्तु होता वह है
जो में चाहता हूँ
कर तू वह
जो में चाहता हूँ
फिर होगा वो
जो तू चाहेगा ।
  जीवन के 6 सत्य:-
1. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने खूबसूरत हैं ?
क्योंकि..लँगूर और गोरिल्ला भी अपनी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं..
2. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका शरीर कितना विशाल और मज़बूत है ?
क्योंकि...श्मशान तक आप अपने आपको नहीं ले जा सकते....
3. आप कितने भी लम्बे क्यों न हों , मगर आने वाले कल को आप नहीं देख सकते....
4. कोई फर्क नहीं पड़ता कि , आपकी त्वचा कितनी गोरी और चमकदार है
क्योंकि...अँधेरे में रोशनी की जरूरत पड़ती ही है...
5 . कोई फर्क नहीं पड़ता कि " आप " नहीं हँसेंगे तो सभ्य कहलायेंगे ?
क्यूंकि ..." आप " पर हंसने के लिए दुनिया खड़ी है ?
6. कोई फर्क नहीं पड़ता कि ,आप कितने अमीर हैं ? और दर्जनों गाड़ियाँ आपके पास हैं ?
क्योंकि...घर के बाथरूम तक आपको चल के ही जाना पड़ेगा...
इसलिए संभल के चलिए ... ज़िन्दगी का सफर छोटा है , हँसते हँसते काटिये , आनंद आएगा ।।

Uff housewifes

वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी ।किचिन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया फिर बच्चों को जगाया ताकि वो स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
फिर उसने किचिन में जाकर चाय निकाली..
अपने सास ससुर को देकर आयी फिर उसने बच्चों का नाश्ता तैयार किया और बीच बीच में बच्चों को ड्रेस पहनाई और फिर बच्चों को नाश्ता कराकर उनके स्कूल का लंच तैयार करने लगी ।
     इस बीच बच्चों के स्कूल का रिक्शा आगये वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ कर आई ।
    वापस आकर मेज़ से बर्तन इकठ्ठा किये ।
    इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।  उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए और वापस आकर फिर पति के लिए नाश्ता तैयार करने लगी ।
  अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता और परांठे तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी नन्द आई और ये कहकर की भाभी मुझे आज कॉलेज जल्दी जाना है नाश्ता उठा कर ले गयी ।
    वो फिर एक हल्की सी मुस्कराहट के साथ वापस किचिन में आई  इस देवर की आवाज़ आई भाभी नाश्ते तैयार हो गया क्या ।
    जी भाई अभी लायी ।
    ये कहकर उसने फिर से अपने पति और देवर के लिए परांठे तैयार करने शुरू किये ।
      लीजिये नाश्ता तैयार हे।
       पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।
   उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
    दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।
इसबीच सफाई वाली भी आगयी । उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी ।
    अब तक 11 बज चुके थे । 
     अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी । दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी नन्द और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे । उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बातो में मूसलसल उनके आने की ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
     नन्द की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे । उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
     उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली  और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
      खाना बनाते बनाते अब दोपहर का एक बज चूका था ।
बच्चे स्कूल से आने वाले थे ।
     लो बच्चे आगये ।उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
     इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आचुके थे । उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
    खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये । इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
    अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी । उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
  उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
    अब तक चार बज चुके थे ।
     अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
    उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
   इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।  अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
     पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो  ।
  वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
    पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
     पति मुस्कुराये और बोले कि
    तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो । बिना वजह रोना शुरू करदेती हो ।
.....

अपनी पत्नी को सम्मान दीजिए।।

Uff housewifes

वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी ।किचिन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया फिर बच्चों को जगाया ताकि वो स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
फिर उसने किचिन में जाकर चाय निकाली..
अपने सास ससुर को देकर आयी फिर उसने बच्चों का नाश्ता तैयार किया और बीच बीच में बच्चों को ड्रेस पहनाई और फिर बच्चों को नाश्ता कराकर उनके स्कूल का लंच तैयार करने लगी ।
     इस बीच बच्चों के स्कूल का रिक्शा आगये वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ कर आई ।
    वापस आकर मेज़ से बर्तन इकठ्ठा किये ।
    इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।  उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए और वापस आकर फिर पति के लिए नाश्ता तैयार करने लगी ।
  अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता और परांठे तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी नन्द आई और ये कहकर की भाभी मुझे आज कॉलेज जल्दी जाना है नाश्ता उठा कर ले गयी ।
    वो फिर एक हल्की सी मुस्कराहट के साथ वापस किचिन में आई  इस देवर की आवाज़ आई भाभी नाश्ते तैयार हो गया क्या ।
    जी भाई अभी लायी ।
    ये कहकर उसने फिर से अपने पति और देवर के लिए परांठे तैयार करने शुरू किये ।
      लीजिये नाश्ता तैयार हे।
       पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।
   उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
    दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।
इसबीच सफाई वाली भी आगयी । उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी ।
    अब तक 11 बज चुके थे । 
     अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी । दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी नन्द और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे । उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बातो में मूसलसल उनके आने की ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
     नन्द की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे । उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
     उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली  और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
      खाना बनाते बनाते अब दोपहर का एक बज चूका था ।
बच्चे स्कूल से आने वाले थे ।
     लो बच्चे आगये ।उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
     इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आचुके थे । उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
    खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये । इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
    अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी । उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
  उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
    अब तक चार बज चुके थे ।
     अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
    उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
   इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।  अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
     पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो  ।
  वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
    पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
     पति मुस्कुराये और बोले कि
    तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो । बिना वजह रोना शुरू करदेती हो ।
.....

अपनी पत्नी को सम्मान दीजिए।।

Tuesday, April 12, 2016

कोशिश

1 - कभी भी ये मत सोचिये कि
        आप कुछ भी नहीं है।
2 - कभी ऐसा भी मत सोचिये कि
        आप ही सब कुछ है।
3 - पर हमेशा ये सोचिये की आप
       कुछ तो है, जो सब कुछ कर
                   सकते है।

             
               "कोशिश"
आखिरी साॅस तक करनी चाहिए,
        "लक्ष्य" या "अनुभव"
       चीजें दोनों ही अच्छे है|

मुस्कुराते रहिए