श्रीराम के इकतीस बाण और हमारा जीवन।
श्री भगवन के जीवन चरित का प्रत्येक प्रसंग हमारे जीवन को राह बताने के लिए हैं। प्रभु कृपा करके अवतरित होते है और हमें सन्मार्ग दिखा कर हमें कृतार्थ करते हैं।
तपोभूमि भारत के कण कण में जो संसकार आज दिखते है वह उन ऋषि मुनियो की तपस्या का परिणाम ही है जिन्होंने अलौलिक प्रसंगों का गहन अध्ययन कर उनकी सरल शब्दों में मीमांसा की।
श्रीराम द्वारा चलाये गए कुल 31 में से एक ने रावण की नाभि पर वार कर रावण वध किया था परंतु प्रत्येक बाण ने एक उद्देश्य को भी पूर्ण किया था।
यह एक संयोग है कि दशानन के दस शीश व बीस भुजाये थी अथार्त युद्ध संचालन में वह 30 अंगो को काम में ले रहा था। रावणवध हेतु श्रीराम ने जो 31 बाण चलाये उनमे से दस बाणो ने दस शीशो व बीस बाणों ने बीस भुजाओं का विच्छेदन किया व अंतिम बाण ने दशानन की नाभि में स्थित अमृत को सोख लिया था।
"सायक एक नाभि सर सोखा।
अपर लगे भुज सर करि रोषा।।"
इसी प्रकार विदित है कि प्रत्येक वर्ष में 12 माह और प्रत्येक माह में तीस अथवा इकतीस दिवस होते हैं।वर्ष के सात माह इकतीस दिवस व पांच माह तीस दिवस के होते हैं।
हमें प्रत्येक दिवस को एक बाण की तरह प्रयोग में लाकर एक सकारात्मक लक्ष्य रोज़ाना प्राप्त करना चाहिए। जीवन में सदैव सफल हो ये आवश्यक नहीं परन्तु सफलता की दिशा में रोज़ प्रयास हो यह आवश्यक हैं।
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