Saturday, October 3, 2015

ज़माना बड़ा ख़राब है

कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं
  हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है
जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं,
         तुझे गिरना भी खुद है
       और सम्हलना भी खुद है..
तू छोड़ दे कोशिशें..
        इन्सानों को पहचानने की...!
यहाँ जरुरतों के हिसाब से ..
            सब बदलते नकाब हैं...!
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर.
                 हर शख़्स कहता है-
    " ज़माना बड़ा ख़राब है।"

No comments:

Post a Comment