Wednesday, March 30, 2016

HAPPY AAM SEASON ..

दोंऔरतें एक आम के
     पेड़ के नीचे बैठ कर काफ़ी
     देर से बातें कर रही थीं...

     तभी अचानक पेड़ से एक
     आम नीचे गिरा!

    पहली औरत: अभी तो पेड़ो
     पर आम कच्चे होते है
     तो यह आम कैसे नीचे गिरा?

      इससे पहले कि दूसरी
     औरत कुछ बोलती, आम
     खुद हाथ जोड़कर बोल पड़ा...
   
     'पक गया हूं बहन जी मैं
      इतनी     देर से तुम
      दोनो की बातें सुन सुन कर!'

HAPPY AAM SEASON .........

Thursday, March 10, 2016

7 mysteries Revealed about Shiva

7 mysteries Revealed about Shiva :
1~ Why Snake?
Snakes are a symbol of awareness.
You can't be asleep with a snake around your neck!

2 ~Why Ashes?
To remind you of the impermanence of life; knowing that we live life fully.

3 ~Is the Moon an Ornament?
The moon and the mind are connected. To be happy in all phases of life, you have to have a say over the mind.

4~ Why Damru?
It has the same shape as the symbol of infinity. Shiva is the unbound infinite consciousness!

5~ Trishul - A Weapon?
Shiva rules over the three gunas represented in the trishul. Yet he encourages everyone to do their dharma - to act and stand up for truth.

6 ~Blue Bodied
The sky is limitless and so is Shiva.
The sky is blue and Shiva is blue too.

7 ~What about Ganga?
Ganga represents gyan (knowledge). Wisdom dawns naturally when you are established in the Shiva.

Saturday, February 27, 2016

दुनिया बदल जायेंगी

एक लघु कथा...
:
दो भाई थे ।
आपस में बहुत प्यार था।
खेत अलग अलग थे आजु बाजू।
:
बड़े भाई शादीशुदा था ।
छोटा अकेला ।
:
एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज बहुत हुआ ।
:
खेत में काम करते करते बड़े भाई ने बगल के खेत में छोटे भाई से खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।
:
उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा ।
खेती तो अच्छी हुई इस बार आनाज भी बहुत हुआ ।
मैं तो अकेला हूँ ।
बड़े भाई की तो गृहस्थी है ।
मेरे लिए तो ये अनाज जरुरत से ज्यादा है ।
भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।
उन्हें जरुरत ज्यादा है।
:
ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल देता है।
बड़ा भाई भोजन करके आता है ।
:
उसके आते छोटा भाई भोजन के लिए चला जाता है।
:
भाई के जाते ही वह विचरता है ।
मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा है...
:
भाई को तो अभी गृहस्थी जमाना है...
उसे अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है...
मै इतने अनाज का क्या करूँगा...
:
ऐसा विचारकर वो 10 बोरे अनाज छोटे भाई के खेत में डाल दिया...।
:
दोनों भाई के मन में हर्ष था...
अनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह वात्सल्य बढ़ा हुआ था...।
:
सोच अच्छी रखो प्रेम बढेंगा...
:
      (दुनिया बदल जायेंगी)

Friday, February 26, 2016

प्रेम है कितना ?

कहो,
"प्रेम है कितना ?"
क्या हो ?
इस यक्ष प्रश्न का उत्तर,
कैसे कोई कह पाए “इतना”
प्रेम के अतिरिक्त ; जो भी है
प्राकृतिक, शाश्वत, कालातीत
है व्यक्त किसी न किसी पैमाने में
धरती का घनत्व,समुद्र का आयतन,
नभ की विरलता, जल की तरलता ,
हवा की गति,सूर्य का ताप,
सबका का है कुछ न कुछ माप
पर कहाँ है ?
ह्रदय के आकर्षण, मन की आतुरता
विरह, विकलता की कोई इकाई
प्रेम पर सापेक्षता का सिद्धांत भी लागू नहीं
नहीं बता सकते प्रेम लैला से ज्यादा ,
रोमियो से कम कि फरहाद के बराबर है
वो सब भी तो बस किस्से कहानी में दर्ज हैं

प्रेम का नहीं कोई विश्व रिकार्ड
कोई आंकड़े, सांख्यकी, खाता-बही

जिससे ज्ञात हो सके  प्रेम की पराकाष्ठा,
प्रेम की कोई प्रतियोगिता, कोई ईनाम नहीं,
चूँकि होती प्रेम में जीत -मात नहीं
प्रेम की कोई भाषा, कोई भूगोल नहीं होता
प्रेम का कोई गणित , कोई विज्ञान भी नहीं होता
अगर कुछ होता है तो
प्रेम का बस इतिहास होता है
व्यक्ति, व्यक्तित्व से भी इसका, कोई सरोकार नहीं होता
तभी तो ; कृष्ण को बस राधा ही जी पायी
बुद्ध होकर भी जो सिद्धार्थ ने न जाना,यशोधरा जान गयी
क्रूर हिटलर के दिल की थाह, जोसेफिन ने पायी
साहिर जो न बूझ पाया, अमृता की वो तड़प
इमरोज़ को समझ आयी
प्रेम की वास्तविकता है कि  “प्रेम है !”
चाहो तो है, न चाहो तो भी है
मानो तो है, न मानो तो भी है
समझो तो है, न समझो तो भी है
पा लो तो है, न पा सको तो भी है
प्रेम बस “है”
अब भी अगर जो पूछो “कितना?”, तो
"जितना महसूस कर सको बस उतना"

नोकिया की कहानी

नोकिया को माइक्रोसाफ्ट ने खरीदने पर हुई प्रेस कांफ्रेस में
नोकिया CEO ने अपनी बात का अन्त यह कहते हुये किया कि
"हमने कुछ गलत नहीं किया, लेकिन तब भी हम किसी वजह से खत्म हो गये".
यह कहते ही CEO स्वयं व पूरी नोकिया टीम मैनेजमेण्ट ऑखों से ऑंसू निकलने लगे ।
नोकिया एक नामी कम्पनी थी ।
नोकिया ने अपने ब्यापार में कभी कुछ गलत नहीं किया ।
लेकिन
विश्व में बदलाव बहुत तेजी से आ रहा है ।
उनके प्रतिस्पर्धी ज्यादा शक्तिशाली थे ।
नोकिया ने सीखना छोड़ दिया ।
नोकिया ने बदलाव करना छोड़ दिया ।
और इस प्रकार
नोकिया ने नोकिया को और बड़ा बनने के हाथ में पड़े अवसर को खो दिया ।
नोकिया ने न केवल ज्यादा धन कमाने का अवसर खो दिया,
बल्कि नोकिया का मार्केट में रहने का अवसर ही खत्म हो गया ।

नोकिया की इस कहानी का सार है कि-
यदि आप नहीं बदलोगे, आप प्रतिस्पर्धा से हटा दिये जाओगे ।
गल्ती यह नहीं है,
यदि आप नये तरीके नहीं सीखना चाहते,
लेकिन....
यदि आपकी कार्यप्रणाली, आपके आइडिया, आपके तरीके, आपका माइन्डसेट समय के साथ पकड़ नहीं बनाये है,
तो आप मार्केट से हटा दिये जाओगे ।

निष्कर्ष-:
1.
जो प्लस प्वांइट कल आपके साथ था,
आगे आने वाले कल में नया ट्रेंड स्थान लेगा ।
आप कुछ गलत नहीं कर रहे होंगे,
लेकिन ....
आपके प्रतिस्पर्धी जैसे ही सही रफ्तार पकड़ेंगे,
आप असफल हो सकते हो, आपका मार्केट खत्म हो सकता है ।
2.
स्वयं से बदलाव करना, स्वयं को इम्प्रूव करना अपने आप को दूसरा मौका देने जैसा है ।
किसी अन्य के कारण बदलना पड़े,
तो यह रिजेक्ट, डिस्कार्ड होते जाने जैसा है
जो सीखने और इम्प्रूव करने के लिये मना कर देते हैं,
वो निश्चित ही
आगे किसी दिन के लिये अप्रभावी हो जायेंगे,।
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Best fantastic jokes

डॉक्टर : कौन सा साबुन इस्तेमाल करते हो?
संता : बजरंग का नीम वाला साबुन ,
डॉक्टर : कौन सा पेस्ट ?
संता : बजरंग का आयुर्वेदिक पेस्ट ,
डॉक्टर : शैम्पू ?
संता : बजरंग का हर्बल शैम्पू .
डॉक्टर : हेयर आयल ?
संता : बजरंग का आवला तेल ...
डॉक्टर : बजरंग मल्टीनेशनल ब्रांड कंपनी है या पंजाब की मसहूर लोकल कंपनी है ?
संता : नही नही , बजरंग मेरा रूम -मेट है ...

स्पेशल फार्मूला -
अगर पांच सौ लोगों के लिए
शिकंजी बनानी हो तो
दो ढक्कन TIDE मिला दें
क्यूंकि नए TIDE मेँ है
हज़ारों निम्बूओं की शक्ति...

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अगर आप घर में अकेले बैठे बोर होते रहते है तो घर में jk
wall putti लगवाए ...
"दीवारे बोल उठेंगी " .
.
.
फिर खूब बतियाना

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-रात भर मुझे इस बात ने सोने
नहीँ दिया
कि
ज़िन्दगी तो बस चार दिन की हैँ
और
इंटरनेट-पैक मैने 30 दिन
का करवा लिया ।

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वाइफ : मैं हर रोज़ पूजा करती हूँ .. काश एक दिन श्री कृष्णा के दर्शन हो जाये !
हस्बैंड : एक बार मीराबाई बन के ज़हर पीले .. श्री कृष्णा क्या , सारे भगवान के दर्शन हो जायेंगे

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साधू:- बच्चा, तुझे स्वर्ग मिलेगा,
लाओ कुछ दक्षिणा दे जाओ।
लड़का:- ठीक है दक्षिणा में आपको मैंने दिल्ली दी।
आज से दिल्ली आपकी हुई।
साधू :- दिल्ली क्या तुम्हारी है ?
जो मुझे दे रहे हो।
लड़का :- तो स्वर्ग क्या तेरे बाप ने खरीद रखा है,
जो तू उधर के प्लाट यहाँ बांट रहा है।

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अकबर:-सेनापति..! यह बताओ कि हम अनारकली को क्यों नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं..??
सेनापतिः-महाराज, क्योंकि हम मुगल हैं, गुगल नहीं...!!!

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पंजाब रोडवेज BUS के पीछे लिखा हुआ था। :-
जे वाहेगुरु दा हुकम होया ,
तां मंजिल तक पहुचां देवां गे ! "
" जे अंख लग गयी ,
ते वाहेगुरु नाल ही मिला देवांगे! .

Sunday, February 14, 2016

पैसों की ज़रूरत

पिताजी के अचानक आ धमकने से पत्नी तमतमा उठी....“लगता है, बूढ़े को पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है,  

वर्ना यहाँ कौन आने वाला था... अपने पेट का गड्ढ़ा भरता नहीं, घरवालों का कहाँ से भरोगे ?”

मैं नज़रें बचाकर दूसरी ओर देखने लगा।

पिताजी नल पर हाथ-मुँह धोकर सफ़र की थकान दूर कर रहे थे।

इस बार मेरा हाथ कुछ ज्यादा ही तंग हो गया।

बड़े बेटे का जूता फट चुका है।वह स्कूल जाते वक्त रोज भुनभुनाता है।

पत्नी के इलाज के लिए पूरी दवाइयाँ नहीं खरीदी जा सकीं।

बाबूजी को भी अभी आना था।
घर में बोझिल चुप्पी पसरी हुई थी।
खाना खा चुकने पर
पिताजी ने मुझे पास बैठने का इशारा किया।

मैं शंकित था कि कोई आर्थिक समस्या लेकर आये होंगे....
पिताजी कुर्सी पर उठ कर बैठ गए। एकदम बेफिक्र...!!!

“ सुनो ” कहकर उन्होंने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा।
मैं सांस रोक कर उनके मुँह की ओर देखने लगा।

रोम-रोम कान बनकर
अगला वाक्य सुनने के लिए चौकन्ना था।

वे बोले... “ खेती के काम में घड़ी भर भी फुर्सत नहीं मिलती।इस बखत काम का जोर है।

रात की गाड़ी से
वापस जाऊँगा। तीन महीने से तुम्हारी कोई चिट्ठी तक
नहीं मिली... जब तुम
परेशान होते हो,

तभी ऐसा करते हो।
उन्होंने जेब से सौ-सौ के पचास
नोट निकालकर मेरी तरफ बढ़ा दिए, “रख लो।
तुम्हारे काम आएंगे। धान की फसल अच्छी हो गई थी।

घर में कोई दिक्कत नहीं है तुम बहुत कमजोर लग रहे हो।ढंग से खाया-पिया करो। बहू का भी ध्यान रखो।

मैं कुछ नहीं बोल पाया।
शब्द जैसे मेरे हलक में फंस कर रह गये हों।

मैं कुछ कहता इससे पूर्व ही पिताजी ने प्यार
से डांटा...“ले लो, बहुत बड़े हो गये हो क्या ..?”

“ नहीं तो।" मैंने हाथ बढ़ाया। पिताजी ने नोट मेरी हथेली पर रख दिए।
बरसों पहले पिताजी मुझे स्कूल भेजने
के लिए इसी तरह हथेली पर अठन्नी टिका देते थे,

पर तब
मेरी नज़रें आजकी तरह झुकी नहीं होती थीं।
दोस्तों एक बात हमेशा ध्यान रखे...

माँ बाप अपने बच्चो पर बोझ हो सकते हैं बच्चे उन पर बोझ कभी नही होते है।