Wednesday, June 15, 2016

भगवान के साथ बैठकर एक रोटी

एक छोटे से बालक को भगवान से मिलने की जिद थी।

वह बालक माता-पिता से पूछता तो माता-पिता रोज़ एक नई छवि दिखा देते भगवान की।
बालक के ह्रदय में भगवान से मिलने की लगन बढ़ती ही गयी।

बच्चों का मन निर्मल होता है, कोई लंबी डिमांड होती नहीं उनकी भगवान से।

उस बालक को तो भगवान के साथ बैठकर एक रोटी खानी थी, बस इसी में उसकी तृप्ति थी।

एक दिन वह बालक खुद भगवान को खोजने चल पड़ा।

उस बालक ने साथ में 6 रोटियां रखीं और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा।

चलते-चलते वह एक नदी के तट पर पहुंचा जहां एक बुजुर्ग माता बैठी हुई दिखीं, उनकी आँखों में प्रेम था, किसी की प्रतीक्षा थी।

बालक को लग रहा था जैसे ये उसी की राह देख रही हो।

वह उनके पास जाकर बैठा, उनको रोटी दी और खुद भी खाई।

यही तो उसकी अभिलाषा थी, भगवान के साथ बैठकर रोटी खाने की।

बुजुर्ग माता के झुर्रियों वाले चेहरे पर ख़ुशी आ गई, आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे।

दोनों ने आपस में प्यार और स्नेह केे पल बिताये, रात घिरने लगी तो वह बालक अपने घर की ओर चला गया।

उस बालक के गायब रहने से घर में तो कोहराम मचा था।

जब वह घर पहुंचा तो माँ ने जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी।

आज वह बालक बहुत खुश था।

माँ ने उसे इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा।

बालक ने बताया:- "माँ, आज मैंने भगवान के साथ रोटी खाई, पर भगवान् बहुत बूढ़े हो गये हैं, मैं आज बहुत खुश हूँ माँ...!"

उधर बुजुर्ग माता भी जब अपने घर पहुँची तो गांववालों ने उन्हें अतिशय खुश देखकर, कारण पूछा।

वह माता बोली:- मैं दो दिन से नदी तट पर अकेली भूखी बैठी थी, मुझे पता था भगवान आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे।

आज भगवान् आए, उन्होंने मेरे साथ बैठकर रोटी खाई जाते समय मुझे गले भी लगाया।

भगवान बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते हैं।"

प्रभु मूरत तिन्ही देखि तैसी...

परोपकार का आत्मिक आनंद भी ईश्वर की अनुभूति है, इसे मत गवाँएं।

आत्मा मालिक�

Monday, May 16, 2016

ये ही सत्य हैं


|||||||| "ये ही सत्य हैं" |||||

Qus→   जीवन का उद्देश्य क्या है ?
Ans→  जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है - जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है..!!

Qus→  जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है ? 
Ans→  जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया - वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है..!!

Qus→  संसार में दुःख क्यों है ?
Ans→  लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं..!!

Qus→  ईश्वर ने दुःख की रचना क्यों की ?
Ans→  ईश्वर ने संसारकी रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की..!!

Qus→  क्या ईश्वर है ? कौन है वे ? क्या रुप है उनका ? क्या वह स्त्री है या पुरुष ?
 Ans→   कारण के बिना कार्य नहीं। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो, इसलिए वे भी है - उस महान कारण को ही आध्यात्म में 'ईश्वर' कहा गया है। वह न स्त्री है और ना ही पुरुष..!!

Qus→   भाग्य क्या है ?
Ans→  हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है तथा आज का प्रयत्न ही कल का भाग्य है..!!

Qus→   इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? 
Ans→   रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं और उसे सभी देखते भी हैं, फिर भी सभी को अनंत-काल तक जीते रहने की इच्छा होती है..इससे बड़ा आश्चर्य ओर क्या हो सकता है..!!

Qus→   किस चीज को गंवाकर मनुष्यधनी बनता है ?
Ans→   लोभ..!!

Qus→   कौन सा एकमात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है? 
Ans →   अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है..!!

Qus →   किस चीज़ के खो जानेपर दुःख नहीं होता ?
Ans →   क्रोध..!!

Qus→   धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है ?
Ans →   दया..!!

Qus→   क्या चीज़ दुसरो को नहीं देनी चाहिए ?
Ans→   तकलीफें, धोखा..!!

Qus→   क्या चीज़ है, जो दूसरों से कभी भी नहीं लेनी चाहिए ?
Ans→   इज़्ज़त, किसी की हाय..!! 

Qus→   ऐसी चीज़ जो जीवों से सब कुछ करवा सकती है?
Ans→   मज़बूरी..!!

Qus→   दुनियां की अपराजित चीज़ ?
Ans→  सत्य..!!

Qus→ दुनियां में सबसे ज़्यादा बिकने वाली चीज़ ? Ans→   झूठ..!!

Qus→   करने लायक सुकून काकार्य ?
Ans→ परोपकार..!!

Qus→   दुनियां की सबसे बुरी लत ?
Ans→ मोह..!!

Qus→   दुनियां का स्वर्णिम स्वप्न ?
Ans→   जिंदगी..!!

Qus→   दुनियां की अपरिवर्तनशील चीज़ ?
Ans→   मौत..!!

Qus→   ऐसी चीज़ जो स्वयं के भी समझ ना आये ?
Ans→   अपनी मूर्खता..!!

Qus→   दुनियां में कभी भी नष्ट/ नश्वर न होने वाली चीज़ ?
Ans→   आत्मा और ज्ञान..!!

Qus→   कभी न थमने वाली चीज़ ?
Ans→   समय..

Sunday, May 1, 2016

एक पवित्र रिश्ता

एक पवित्र रिश्ता

                 

               पति-पत्नी

एक बनाया गया रिश्ता,

पहले कभी एक दुसरे को देखा भी नहीं था,

अब सारी जिंदगी एक दुसरे के साथ,

पहले अपरिचित,
फिर धीरे धीरे होता परिचय☺

धीरे धीरे होने वाला स्पर्श

फिर

नोकझोंक...

झगड़े...

बोलचाल बंद...

कभी जिद...

कभी अहम का भाव,

फिर धीरे धीरे बनती जाती

प्रेम पुष्पों की माला।

फिर

एकजीवता...

तृप्तता,

वैवाहिक जीवन को परिपक्व होने में समय लगता है,

धीरे धीरे जीवन में स्वाद और मिठास आती है,

ठीक वैसे ही जैसे,

अचार जैसे जैसे पुराना होता जाता है,
उसका स्वाद बढ़ता जाता है।

पति पत्नी एक दुसरे को अच्छी प्रकार
जानने समझने ☺लगते हैं,

वृक्ष बढ़ता जाता है,

बेलाएँ फूटती जातीं हैं,

फूल आते हैं,

फल आते हैं....

रिश्ता और मजबूत होता जाता✊ है।

धीरे धीरे बिना एक दुसरे के अच्छा ही नहीं लगता।

उम्र बढ़ती जाती है,

दोनों एक दुसरे पर अधिक आश्रित होते जाते हैं,

एक दुसरे के बगैर खालीपन महसूस होने लगता है।

फिर धीरे धीरे मन में एक भय का निर्माण होने लगता है,

" ये चली गईं तो, मैं कैसे जिऊँगा ? "
" ये चले गए तो, मैं कैसे जीऊँगी ? "

अपने मन में घुमड़ते इन सवालों के बीच

जैसे,

खुद का स्वतंत्र अस्तित्व दोनों भूल जाते हैं।

कैसा अनोखा रिश्ता..

कौन कहाँ का कैसे मिलता हे.....

कहते हे खून में खैंच होती हे

पर

इसमें न अपना खून ना अपनों का खून

फिर भी ये अटूट हे

इसलिए कहते हे

ये रिश्ता ऊपर से बनता हे

एक बनाया गया रिश्ता.....

एक पवित्र रिश्ता

So  always respect care n love this relationship bcz this is a beautiful gift given by God to us.

Tuesday, April 26, 2016

भगवान की प्लानिंग

((((( भगवान की प्लानिंग )))))
एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है,
भगवान-
आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे,
.
एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बन
कर
खड़ा हो जाता हूं, आप मेरा रूप धारण कर
घूम
आओ l
.
भगवान मान जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं
कि
जो
भी लोग प्रार्थना करने आयें, तुम बस
उनकी
प्रार्थना सुन लेना कुछ बोलना नहीं,
.
मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है,
सेवक
मान जाता है l
.
सबसे पहले मंदिर में बिजनेस मैन आता है और
कहता है, भगवान मैंने एक नयी फैक्ट्री
डाली
है,
उसे खूब सफल करना l
.
वह माथा टेकता है, तो उसका पर्स नीचे
गिर
जाता
है l वह बिना पर्स लिये ही चला जाता
है l
.
सेवक बेचैन हो जाता है. वह सोचता है
कि रोक
कर
उसे बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन शर्त
की
वजह से वह नहीं कह पाता l
.
इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और
भगवान
को कहता है कि घर में खाने को कुछ नहीं.
भगवान
मदद करो l
.
तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ती है. वह
भगवान
का शुक्रिया अदा करता है और पर्स लेकर
चला
जाता है l
.
अब तीसरा व्यक्ति आता है, वह नाविक
होता
है l
.
वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के
लिए
जहाज लेकर समुद्र की यात्रा पर जा
रहा हूं,
यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान..
.
तभी पीछे से बिजनेस मैन पुलिस के साथ
आता है
और कहता है कि मेरे बाद ये नाविक आया
है l
.
इसी ने मेरा पर्स चुरा लिया है,पुलिस
नाविक
को ले
जा रही होती है तभी सेवक बोल पड़ता
है l
.
अब पुलिस सेवक के कहने पर उस गरीब आदमी
को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है.
.
रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी
खुशी
पूरा
किस्सा बताता है l
.
भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम
बनाया
नहीं,
बल्कि बिगाड़ा है l
.
वह व्यापारी गलत धंधे करता है,अगर
उसका
पर्स
गिर भी गया, तो उसे फर्क नहीं पड़ता
था l
.
इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह
पर्स
गरीब इंसान को मिला था. पर्स
मिलने पर
उसके
बच्चे भूखों नहीं मरते.
.
रही बात नाविक की, तो वह जिस
यात्रा पर
जा रहा
था, वहां तूफान आनेवाला था,
.
अगर वह जेल में रहता, तो जान बच जाती.
उसकी
पत्नी विधवा होने से बच जाती. तुमने
सब
गड़बड़
कर दी l
.
कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी
प्रॉब्लम
आती है,
जब हमें लगता है कि ये मेरे साथ ही
क्यों हुआ l
.
लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग
होती
है l
.
जब भी कोई प्रॉब्लमन आये. उदास मत
होना l
.
इस कहानी को याद करना और सोचना
कि जो
भी
होता है,i अच्छे के लिए होता है l
Must share to everyone....

Sunday, April 24, 2016

मृत्युभोज खाने से ऊर्जा नष्ट

⭕मृत्युभोज खाने से ऊर्जा नष्ट ⭕
जिस परिवार मे विपदा आई हो उसके साथ ईस संकट की घड़ी मे जरूर  खडे़ हो और तन,मन,और घन से सहयोग करे और मृतक भोज का बहिस्कार करे
गतांग

महाभारत युद्ध होने का था, अतः श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जा कर युद्ध न करने के लिए संधि करने का आग्रह किया, तो दुर्योधन द्वारा आग्रह ठुकराए जाने पर श्री कृष्ण को कष्ट हुआ और वह चल पड़े, तो दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कहा कि

’’सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’’

हे दुयोंधन - जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो, तभी भोजन करना चाहिए।
लेकिन जब खिलाने वाले एवं खाने वालों के दिल में दर्द हो, वेदना हो।
तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं करना चाहिए।

हिन्दू धर्म में मुख्य 16 संस्कार बनाए गए है, जिसमें प्रथम संस्कार गर्भाधान एवं अन्तिम तथा 16वाँ संस्कार अन्त्येष्टि है। इस प्रकार जब सत्रहवाँ संस्कार बनाया ही नहीं गया तो सत्रहवाँ संस्कार तेरहवीं संस्कार कहाँ से आ टपका।

इससे साबित होता है कि तेरहवी संस्कार समाज के चन्द चालाक लोगों के दिमाग की उपज है।
किसी भी धर्म ग्रन्थ में मृत्युभोज का विधान नहीं है।
बल्कि महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। लेकिन जिसने जीवन पर्यन्त मृत्युभोज खाया हो, उसका तो ईश्वर ही मालिक है।
इसी लिए महार्षि दयानन्द सरस्वती,, पं0 श्रीराम शर्मा, स्वामी विवेकानन्द जैसे महान मनीषियों ने मृत्युभोज का जोरदार ढंग से विरोध किया है।

जिस भोजन बनाने का कृत्य जैसे लकड़ी फाड़ी जाती तो रोकर, आटा गूँथा जाता तो रोकर एवं पूड़ी बनाई जाती है तो रोकर यानि हर कृत्य आँसुओं से भीगा।
ऐसे आँसुओं से भीगे निकृष्ट भोजन एवं तेरहवीं भेाज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कर समाज को एक सही दिशा दें।

जानवरों से सीखें,

जिसका साथी बिछुड़ जाने पर वह उस दिन चारा नहीं खाता है। जबकि 84 लाख योनियों में श्रेष्ठ मानव,
जवान आदमी की मृत्यु पर हलुवा पूड़ी खाकर शोक मनाने का ढ़ोंग रचता है।

इससे बढ़कर निन्दनीय कोई दूसरा कृत्य हो नहीं सकता।

           यदि आप इस बात से
सहमत हों, तो आप आज से
संकल्प लें कि आप किसी के
मृत्यु भोज को ग्रहण नहीं करंगे।

ग्रुप के सभी सम्मानित सदस्यों से परम् आग्रह है
इस पोस्ट को अधिक से अधिक ग्रुप में शेयर करे ।

मृत्युभोज समाज में फैली कुरीुति है व समाज के लिये अभिशाप है ।
समाज हित में....   

यही जिंदगी है।

लोहे की एक छड़ का मूल्य होता है 250 रूपये.
इससे घोड़े की नाल बना दी जाये
तो इसका मूल्य हो जाता है 1000 रूपये.
इससे सुईयां बना दी जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 10,000 रूपये.

इससे घड़ियों के बैलेंस स्प्रिंग बना दिए जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 1,00,000 रूपये... --

"आपका अपना मूल्य-- इससे निर्धारित नहीं होता कि आप क्या है बल्कि इससे निर्धारित होता है कि आप में खुद को क्या बनाने की क्षमता है"!!!!
इतने छोटे बनिए कि
हर कोई आपके साथ बैठे,
..ओर इतने बड़े बनिए कि
आप खड़े हो तो कोई बैठा न रहे..!!

कभी कभी
आप अपनी जिंदगी से
निराश हो जाते हैं,
जबकि
दुनिया में उसी समय
कुछ लोग
आपकी जैसी जिंदगी
जीने का सपना देख रहे होते हैं।

घर पर खेत में खड़ा बच्चा
आकाश में उड़ते हवाई जहाज
को देखकर
उड़ने का सपना देख रहा होता है,
परंतु
उसी समय
उसी हवाई जहाज का पायलट
खेत ओर बच्चे को देख
घर लौटने का सपना
देख रहा होता है।

यही जिंदगी है।
जो तुम्हारे पास है उसका मजा लो।

अगर धन-दौलत रूपया पैसा ही
खुशहाल होने का सीक्रेट होता,
तो अमीर लोग नाचते दिखाई पड़ते,
लेकिन सिर्फ गरीब बच्चे
ऐसा करते दिखाई देते हैं।

अगर पाॅवर (शक्ति) मिलने से
सुरक्षा आ जाती
तो
नेता अधिकारी
बिना सिक्युरिटी के नजर आते।
परन्तु
जो सामान्य जीवन जीते हैं,
वे चैन की नींद सोते हैं।

अगर खुबसुरती और प्रसिद्धि
मजबूत रिश्ते कायम कर सकती
तो
सेलीब्रिटीज् की शादियाँ
सबसे सफल होती।
जबकि इनके तलाक
सबसे सफल होते हैं

इसलिए दोस्तों,
यह जिंदगी ......

सभी के लिए खुबसुरत है
इसको जी भरकर जीयों,
इसका भरपूर लुत्फ़ उठाओ
क्योंकि
जिदंगी ना मिलेगी दोबारा...

सामान्य जीवन जियें...
विनम्रता से चलें ...
और
ईमानदारी पूर्वक प्यार करें...

स्वर्ग यहीं हैं...

Friday, April 22, 2016

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    together we can 'talk'.
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