एक पवित्र रिश्ता
पति-पत्नी
एक बनाया गया रिश्ता,
पहले कभी एक दुसरे को देखा भी नहीं था,
अब सारी जिंदगी एक दुसरे के साथ,
पहले अपरिचित,
फिर धीरे धीरे होता परिचय☺
धीरे धीरे होने वाला स्पर्श
फिर
नोकझोंक...
झगड़े...
बोलचाल बंद...
कभी जिद...
कभी अहम का भाव,
फिर धीरे धीरे बनती जाती
प्रेम पुष्पों की माला।
फिर
एकजीवता...
तृप्तता,
वैवाहिक जीवन को परिपक्व होने में समय लगता है,
धीरे धीरे जीवन में स्वाद और मिठास आती है,
ठीक वैसे ही जैसे,
अचार जैसे जैसे पुराना होता जाता है,
उसका स्वाद बढ़ता जाता है।
पति पत्नी एक दुसरे को अच्छी प्रकार
जानने समझने ☺लगते हैं,
वृक्ष बढ़ता जाता है,
बेलाएँ फूटती जातीं हैं,
फूल आते हैं,
फल आते हैं....
रिश्ता और मजबूत होता जाता✊ है।
धीरे धीरे बिना एक दुसरे के अच्छा ही नहीं लगता।
उम्र बढ़ती जाती है,
दोनों एक दुसरे पर अधिक आश्रित होते जाते हैं,
एक दुसरे के बगैर खालीपन महसूस होने लगता है।
फिर धीरे धीरे मन में एक भय का निर्माण होने लगता है,
" ये चली गईं तो, मैं कैसे जिऊँगा ? "
" ये चले गए तो, मैं कैसे जीऊँगी ? "
अपने मन में घुमड़ते इन सवालों के बीच
जैसे,
खुद का स्वतंत्र अस्तित्व दोनों भूल जाते हैं।
कैसा अनोखा रिश्ता..
कौन कहाँ का कैसे मिलता हे.....
कहते हे खून में खैंच होती हे
पर
इसमें न अपना खून ना अपनों का खून
फिर भी ये अटूट हे
इसलिए कहते हे
ये रिश्ता ऊपर से बनता हे
एक बनाया गया रिश्ता.....
एक पवित्र रिश्ता
So always respect care n love this relationship bcz this is a beautiful gift given by God to us.
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