Wednesday, September 14, 2016

चिंता

एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है, उसे बहुत ज्यादा INCOME TAX देना पड़ता है आदि - आदि।
इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था।
एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी।
होमवर्क का टाइटल था ••• वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं।
इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था •••
● मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुंत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं।
● मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं।
● मैं सुबह - सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ।
● मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं।
बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया।
●● मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है।
●● मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं।
●● मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक हैसियत है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं।
●● मैं बहुत ज्यादा INCOME TAX भरता हूँ, इसका मतलब है कि मेरे पास अच्छी नौकरी/व्यापार है और मैं उन लोगों से बेहतर हूँ जो बेरोजगार हैं या पैसों की वजह से बहुत सी चीजों और सुविधाओं से वंचित हैं।
*हे ! मेरे भगवान् ! तेरा बहुंत बहुंत शुक्रिया ••• मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।*
_इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा।_
*हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।*

����शुभ संध्या ��

जल झूलनी एकादशी / ड़ोलग्यारस का महत्व

जल झूलनी एकादशी / ड़ोलग्यारस का महत्व -
इस दिन माँ यशौदा भगवान श्री कृष्ण के जन्म के वाद भगवान के वस्त्रों को धोने के लिए यमुना नदी पर जाती हैं ।
आज पहली वार भगवान कृष्ण ने सूर्य देव के दर्शन किये थे ।
माँ यशौदा ने आज ही के दिन सूर्य की पूजा की थी ।
आज ही के दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था ।
 

Sunday, September 11, 2016

कहाँ है  बुद्धिजीवी....??

लापता बुद्धिजीवी ...
कहाँ है  बुद्धिजीवी....???

Tuesday को  ईद है लेकिन मुझे अभी तक बुद्धिजीवियों की वह फ़ौज नहीं दिखायी दे रही...

जिनके सारे पक्षी मकर संक्राति पर पतंग उड़ाने से मर रहे थे ,

दिवाली के पटाखों से पूरा विश्व प्रदूषित हो जाता है ,

होली खेलने से इतना पानी बर्बाद हो जाता है कि पूरा विश्व संभवतः प्यासा मरने की कगार पर पहुँचने ही वाला होता है,

सरस्वती पूजा एवं गणेश उत्सव में मूर्ति विसर्जन से नदी प्रदूषित होती है,

शिवरात्रि पर दुध का व्यय होता है,

नवरात्रि पर आवाज़ का प्रदूषण रात को 12 बजे के बाद बंद...

शनिजयंती को तेल का व्यय,

बहुत चिंता होती है इन बुद्धिजीवियों को देश की, समाज  की,

पर्यावरण की ...भई नमन है इन तथाकथित बुद्धिजीवियों को । परन्तु एक सवाल अब तक मरे मन को विचलित कर रहा है कि...

ईद पर अनगिनत बेजुबान को क़त्ल कर दिया जायेगा...

फिर उनके खून को साफ़ करने के लिए लाखों लीटर पानी बहाया जायेगा,

इन बेजुबानों की हड्डियों को नदियों में एवं इधर - उधर फेंक कर बदबू फैलाई जायेगी... 

तो इन बेजुबानों को बचाने के लिए इन महान बुद्धिजीवियों की अपील क्यों नहीं आई ??

सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक एक भी बुद्धिजीवी मुझे ये कहता या किसी को ये समझाता नजर नहीं आया कि इको-फ्रेंडली ईद मनाओ,

मिट्टी का या लकड़ी का बकरा बनाओ,

बेजुबानो को मत काटो

क्यों नही, बोल रहे हो ? क्या सारा ज्ञान केवल हिंदुओं के पर्वों पर ही उमड़ता है ?

क्या इन बेजुबान कटते जानवरो के लिए तुम्हारा दिल नहीं रोता जिन्हें जानबूझकर क़त्ल किया जायेगा सिर्फ दावतें उड़ाने को,

अगर सच में तुम्हें इतनी चिंता है तो एक बार तो अपील कर दो इनको बचाने की...

गरीबी

एक पाँच साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर मंदिर के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोडकर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था.
कपड़े में मेल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे।
बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था।
जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा-
"क्या मांगा भगवान से"
उसने कहा-
"मेरे पापा मर गए हैं उनके लिए स्वर्ग,
मेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्र,
मेरी बहन माँ से कपडे सामान मांगती है उसके लिए पैसे"।
"तुम स्कूल जाते हो"
अजनबी का सवाल स्वाभाविक सा सवाल था।
"हां जाता हूं" उसने कहा।
"किस क्लास में पढ़ते हो ?" अजनबी ने पूछा
"नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ, बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है" बच्चे का एक एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था ।
"तुम्हारा कोई रिश्तेदार"
न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा।
"पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता,
माँ झूठ नहीं बोलती,
पर अंकल,
मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है,
जब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती है,
जब कहता हूँ
माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मेंने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है "
"बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ?"
"बिल्कुलु नहीं"
"क्यों"
"पढ़ाई करने वाले गरीबों से नफरत करते हैं अंकल,
हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा - पास से गुजर जाते हैं"
अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी।
फिर उसने कहा
" हर दिन इसी इस मंदिर में आता हूँ, कभी किसी ने नहीं पूछा - यहा सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे - मगर हमें कोई नहीं जानता
"बच्चा जोर-जोर से रोने लगा" अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं ?"
मेरे पास इसका कोई जवाब नही था और ना ही मेरे पास बच्चे के सवाल का जवाब है।
ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं
बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद यतिमो, बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए......................... मंदिर मे सीमेंट या अन्न की बोरी देने से पहले अपने आस - पास किसी गरीब को देख लेना शायद उसको आटे की बोरी की ज्यादा जरुरत हो।

आपको प्रसंद आऐ तो सब काम छोडके ये मेसेज कम से कम एक या दो गुरुप मे जरुर डाले |
कही किसी गुरुप मे कोई ऐसा देवता ईन्सान मील जाऐ
कही ऐसे बच्चो को अपना भगवान मिल जाए |
कुछ समय के लिए एक गरीब बेसहारा कि आँख मे आँख डालकर देखे आपको क्या मेहसूस होता है
फोटो या विडियो भेजने कि जगह ये मेसेज कम से कम एक या दो गुरुप मे जरुर डाले|

*स्वयं में व समाज में बदलाव लाने के प्रयास जारी रखें।*
धन्यवाद

Saturday, September 10, 2016

तुलना से बचें

चिंतनमाला

चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन
में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी
चिंता में आ जाते हैं।
*तुलना से बचें और खुश रहें*

ना किसी से ईर्ष्या , ना किसी से कोई होड़,
मेरी अपनी मंजिलें मेरी अपनी दौड़..!!

Friday, September 9, 2016

जीत पक्की है

जीत पक्की है

कुछ करना है, तो डटकर चल।
         *थोड़ा दुनियां से हटकर चल*।
लीक पर तो सभी चल लेते है,
      *कभी इतिहास को पलटकर चल*।
बिना काम के मुकाम कैसा?
          *बिना मेहनत के, दाम कैसा*?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
        *तो राह में, राही आराम कैसा*?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
          *ना कोई बहाना रख*।
जो लक्ष्य सामने है, 
बस उसी पे अपना ठिकाना रख।
          *सोच मत, साकार कर*,
अपने कर्मो से प्यार कर।
          *मिलेंगा तेरी मेहनत का फल*,
किसी और का ना इंतज़ार कर।
    *जो चले थे अकेले*
       *उनके पीछे आज मेले हैं*।
    जो करते रहे इंतज़ार उनकी
  जिंदगी में आज भी झमेले है!

Thursday, September 8, 2016

आईना


बहुत पुरानी बात है ....
एक अफ्रीकन  अपने परिवार के साथ जंगल में ही रहता था ....
उसने और उसके परिवार ने कभी आईना नहीं देखा था ...
एक दिन जंगल में उसे शीशा मिल गया...
उसमें खुद को देखकर समझा कि उसके बाप की तस्वीर है...
और वो उसे अपने घर ले गया और रोज बातें करने लगा...
उसकी बीवी को शक़ हुआ...
एक दिन जब उसका पति घर से बाहर गया हुआ था तब उसने वो शीशा निकाला...
खुद अपनी शक्ल देखकर बोली :
'अच्छा...
तो ये है वो कल-मूही
जिस से मेरा पति रोज़ बातें करता है '
उसने शीशा अपनी सास को दिखाया,
तो सास बोली :
'चिंता मत कर...
शुक्र मना...
बुड्ढी है ,
जल्दी ही मर जाएगी' ...