Saturday, September 10, 2016

तुलना से बचें

चिंतनमाला

चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन
में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी
चिंता में आ जाते हैं।
*तुलना से बचें और खुश रहें*

ना किसी से ईर्ष्या , ना किसी से कोई होड़,
मेरी अपनी मंजिलें मेरी अपनी दौड़..!!

Friday, September 9, 2016

जीत पक्की है

जीत पक्की है

कुछ करना है, तो डटकर चल।
         *थोड़ा दुनियां से हटकर चल*।
लीक पर तो सभी चल लेते है,
      *कभी इतिहास को पलटकर चल*।
बिना काम के मुकाम कैसा?
          *बिना मेहनत के, दाम कैसा*?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
        *तो राह में, राही आराम कैसा*?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
          *ना कोई बहाना रख*।
जो लक्ष्य सामने है, 
बस उसी पे अपना ठिकाना रख।
          *सोच मत, साकार कर*,
अपने कर्मो से प्यार कर।
          *मिलेंगा तेरी मेहनत का फल*,
किसी और का ना इंतज़ार कर।
    *जो चले थे अकेले*
       *उनके पीछे आज मेले हैं*।
    जो करते रहे इंतज़ार उनकी
  जिंदगी में आज भी झमेले है!

Thursday, September 8, 2016

आईना


बहुत पुरानी बात है ....
एक अफ्रीकन  अपने परिवार के साथ जंगल में ही रहता था ....
उसने और उसके परिवार ने कभी आईना नहीं देखा था ...
एक दिन जंगल में उसे शीशा मिल गया...
उसमें खुद को देखकर समझा कि उसके बाप की तस्वीर है...
और वो उसे अपने घर ले गया और रोज बातें करने लगा...
उसकी बीवी को शक़ हुआ...
एक दिन जब उसका पति घर से बाहर गया हुआ था तब उसने वो शीशा निकाला...
खुद अपनी शक्ल देखकर बोली :
'अच्छा...
तो ये है वो कल-मूही
जिस से मेरा पति रोज़ बातें करता है '
उसने शीशा अपनी सास को दिखाया,
तो सास बोली :
'चिंता मत कर...
शुक्र मना...
बुड्ढी है ,
जल्दी ही मर जाएगी' ...

नाराज हो जाओ तो

किसी से नाराज हो जाओ तो बस इतने
फासले पर ही होना जो -
एक कदम...
एक स्पर्श....
एक मुस्कुराहट...
एक आंसू.....
एक शब्द
या
प्रेम से भरी एक नजर से सब कुछ
भूल कर वापस और सम्बन्ध सोहाद्र-पूर्ण हो जाए।
जीवन का क्या भरोसा,
ना जाने कौनसी साँस आख़री हो।
हम क्या साथ लाए थे और साथ क्या ले जाएंगे!
इसीलिए सारी कड़वाहटों को यहीं मिटाना है और
अच्छी यादों के साथ निकल जाना है।!!

Sunday, September 4, 2016

मुस्कुराहट का महत्व

*मुस्कुराहट का महत्व*

_*अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।_*

_*अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।*_

_*अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*_

_*अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*

_*अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।_*

_*अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।*

_*कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।_*

_*मुस्कुराइए, क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।”_*

_*मुस्कुराइए ,क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।”*_

_*मुस्कुराइए, क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।”*_

_*मुस्कुराइए, क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है”*

       *और सबसे बड़ी बात*

_*"मुस्कुराइए, क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।”*_

*_इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औराें के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं,_*
_*यही जीवन है।*_

_*आनंद ही जीवन है।।*_

।।।।

Friday, September 2, 2016

पैसा , तेरे कितने नाम !

वाह रे पैसा , तेरे कितने नाम !!!

मंदिर मे दिया जाये तो ( चढ़ावा ) ..,

स्कुल में ( फ़ीस ) ..,

शादी में दो तो ( दहेज ) ..,

तलाक देने पर ( गुजारा भत्ता ) ..,

आप किसी को देते हो तो ( कर्ज ) ..,

अदालत में ( जुर्माना )..,.

सरकार लेती है तो ( कर ) ..,

सेवानिवृत्त होने पे ( पेंशन ) ..,

अपहर्ताओ के लिएं ( फिरौती ) ..,

होटल में सेवा के लिए ( टिप ) ..,.

बैंक से उधार लो तो ( ऋण ) ..,

श्रमिकों के लिए ( वेतन ) ..,

मातहत कर्मियों के लिए ( मजदूरी ) ..,

अवैध रूप से प्राप्त सेवा ( रिश्वत ) ..,

और मुझे दोगे तो ( गिफ्ट

)

  *मैं पैसा हूँ:!*

मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते; मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें।

  *मैं पैसा हूँ:!*
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं नमक की तरह हूँ; जो जरुरी तो है मगर जरुरतसे ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।

  *मैं पैसा हूँ:!*

इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था; मगर फिरभी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ; कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ:! आपके पास नहीं हूँ तो; आपका नहीं हूँ:! मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं सारे फसाद की जड़ हूँ; मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं:?।

*विचार कीजिए*

चरित्र


प्रार्थना सभा के लिए प्रेरक प्रसंग
♻♻♻♻♻♻♻♻♻♻♻
किसी व्यक्ति की महानता उसके चरित्र और ज्ञान पर निर्भर करती हैं पहनावे पर नहीं

एक बार की बात है किसी गाँव में एक पंडित रहता था| वैसे तो पंडित जी को वेदों और शास्त्रों का बहुत ज्ञान था लेकिन वह बहुत ग़रीब थे| ना ही रहने के लिए अच्छा घर था और ना ही अच्छे भोजन के लिए पैसे|
एक छोटी सी झोपड़ी थी, उसी में रहते थे और भिक्षा माँगकर जो मिल जाता उसी से अपना जीवन यापन करते थे|
एक बार वह पास के किसी गाँव में भिक्षा माँगने गये, उस समय उनके कपड़े बहुत गंदे थे और काफ़ी जगह से फट भी गये थे|
जब उन्होने एक घर का दरवाजा खटखटाया तो सामने से एक व्यक्ति बाहर आया, उसने जब पंडित को फटे चिथड़े कपड़ों में देखा तो उसका मन घ्रणा से भर गया और उसने पंडित को धक्के मारकर घर से निकाल दिया, बोला- पता नहीं कहाँ से गंदा पागल चला आया है|
पंडित दुखी मन से वापस चला आया, जब अपने घर वापस लौट रहा था तो किसी अमीर आदमी की नज़र पंडित के फटे कपड़ों पर पड़ी तो उसने दया दिखाई और पंडित को पहनने के लिए नये कपड़े दे दिए|
अगले दिन पंडित फिर से उसी गाँव में उसी व्यक्ति के पास भिक्षा माँगने गया| व्यक्ति ने नये कपड़ों में पंडित को देखा और हाथ जोड़कर पंडित को अंदर बुलाया और बड़े आदर के साथ थाली में बहुत सारे व्यंजन खाने को दिए| पंडित जी ने एक भी टुकड़ा अपने मुँह में नहीं डाला और सारा खाना धीरे धीरे अपने कपड़ों पर डालने लगे और बोले- ले खा और खा|s
व्यक्ति ये सब बड़े आश्चर्य से देख रहा था, आख़िर उसने पूछ ही लिया कि- पंडित जी आप यह क्या कर रहे हैं सारा खाना अपने कपड़ों पर क्यूँ डाल रहे हैं|
पंडित जी ने बहुत शानदार उत्तर दिया- क्यूंकी तुमने ये खाना मुझे नहीं बल्कि इन कपड़ों को दिया है इसीलिए मैं ये खाना इन कपड़ों को ही खिला रहा हूँ, कल जब में गंदे कपड़ों में तुम्हारे घर आया तो तुमने धक्के मारकर घर से निकाल दिया और आज तुमने मुझे साफ और नये कपड़ों में दे देख कर अच्छा खाना पेश कियाl असल में तुमने यह खाना मुझे नहीं मेरे कपड़ों को दिया हैl वह व्यक्ति यह सुन कर बहुत दुखी हुआ l
मित्रों *किसी व्यक्ति की  महानता उसके चरित्र और ज्ञान से होती है ,पहनावे से नहीं lअच्छे कपड़े पहनने से व्यक्ति महान नहीं बनता ,उसके लिए अच्छे कर्मों की आवश्यकता होती हैl