Sunday, September 4, 2016

मुस्कुराहट का महत्व

*मुस्कुराहट का महत्व*

_*अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।_*

_*अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।*_

_*अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*_

_*अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*

_*अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।_*

_*अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।*

_*कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।_*

_*मुस्कुराइए, क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।_*

_*मुस्कुराइए, क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।”_*

_*मुस्कुराइए ,क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।”*_

_*मुस्कुराइए, क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।”*_

_*मुस्कुराइए, क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है”*

       *और सबसे बड़ी बात*

_*"मुस्कुराइए, क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।”*_

*_इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औराें के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं,_*
_*यही जीवन है।*_

_*आनंद ही जीवन है।।*_

।।।।

Friday, September 2, 2016

पैसा , तेरे कितने नाम !

वाह रे पैसा , तेरे कितने नाम !!!

मंदिर मे दिया जाये तो ( चढ़ावा ) ..,

स्कुल में ( फ़ीस ) ..,

शादी में दो तो ( दहेज ) ..,

तलाक देने पर ( गुजारा भत्ता ) ..,

आप किसी को देते हो तो ( कर्ज ) ..,

अदालत में ( जुर्माना )..,.

सरकार लेती है तो ( कर ) ..,

सेवानिवृत्त होने पे ( पेंशन ) ..,

अपहर्ताओ के लिएं ( फिरौती ) ..,

होटल में सेवा के लिए ( टिप ) ..,.

बैंक से उधार लो तो ( ऋण ) ..,

श्रमिकों के लिए ( वेतन ) ..,

मातहत कर्मियों के लिए ( मजदूरी ) ..,

अवैध रूप से प्राप्त सेवा ( रिश्वत ) ..,

और मुझे दोगे तो ( गिफ्ट

)

  *मैं पैसा हूँ:!*

मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते; मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें।

  *मैं पैसा हूँ:!*
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं नमक की तरह हूँ; जो जरुरी तो है मगर जरुरतसे ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।

  *मैं पैसा हूँ:!*

इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था; मगर फिरभी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ; कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ:! आपके पास नहीं हूँ तो; आपका नहीं हूँ:! मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ।

  *मैं पैसा हूँ:!*

मैं सारे फसाद की जड़ हूँ; मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं:?।

*विचार कीजिए*

चरित्र


प्रार्थना सभा के लिए प्रेरक प्रसंग
♻♻♻♻♻♻♻♻♻♻♻
किसी व्यक्ति की महानता उसके चरित्र और ज्ञान पर निर्भर करती हैं पहनावे पर नहीं

एक बार की बात है किसी गाँव में एक पंडित रहता था| वैसे तो पंडित जी को वेदों और शास्त्रों का बहुत ज्ञान था लेकिन वह बहुत ग़रीब थे| ना ही रहने के लिए अच्छा घर था और ना ही अच्छे भोजन के लिए पैसे|
एक छोटी सी झोपड़ी थी, उसी में रहते थे और भिक्षा माँगकर जो मिल जाता उसी से अपना जीवन यापन करते थे|
एक बार वह पास के किसी गाँव में भिक्षा माँगने गये, उस समय उनके कपड़े बहुत गंदे थे और काफ़ी जगह से फट भी गये थे|
जब उन्होने एक घर का दरवाजा खटखटाया तो सामने से एक व्यक्ति बाहर आया, उसने जब पंडित को फटे चिथड़े कपड़ों में देखा तो उसका मन घ्रणा से भर गया और उसने पंडित को धक्के मारकर घर से निकाल दिया, बोला- पता नहीं कहाँ से गंदा पागल चला आया है|
पंडित दुखी मन से वापस चला आया, जब अपने घर वापस लौट रहा था तो किसी अमीर आदमी की नज़र पंडित के फटे कपड़ों पर पड़ी तो उसने दया दिखाई और पंडित को पहनने के लिए नये कपड़े दे दिए|
अगले दिन पंडित फिर से उसी गाँव में उसी व्यक्ति के पास भिक्षा माँगने गया| व्यक्ति ने नये कपड़ों में पंडित को देखा और हाथ जोड़कर पंडित को अंदर बुलाया और बड़े आदर के साथ थाली में बहुत सारे व्यंजन खाने को दिए| पंडित जी ने एक भी टुकड़ा अपने मुँह में नहीं डाला और सारा खाना धीरे धीरे अपने कपड़ों पर डालने लगे और बोले- ले खा और खा|s
व्यक्ति ये सब बड़े आश्चर्य से देख रहा था, आख़िर उसने पूछ ही लिया कि- पंडित जी आप यह क्या कर रहे हैं सारा खाना अपने कपड़ों पर क्यूँ डाल रहे हैं|
पंडित जी ने बहुत शानदार उत्तर दिया- क्यूंकी तुमने ये खाना मुझे नहीं बल्कि इन कपड़ों को दिया है इसीलिए मैं ये खाना इन कपड़ों को ही खिला रहा हूँ, कल जब में गंदे कपड़ों में तुम्हारे घर आया तो तुमने धक्के मारकर घर से निकाल दिया और आज तुमने मुझे साफ और नये कपड़ों में दे देख कर अच्छा खाना पेश कियाl असल में तुमने यह खाना मुझे नहीं मेरे कपड़ों को दिया हैl वह व्यक्ति यह सुन कर बहुत दुखी हुआ l
मित्रों *किसी व्यक्ति की  महानता उसके चरित्र और ज्ञान से होती है ,पहनावे से नहीं lअच्छे कपड़े पहनने से व्यक्ति महान नहीं बनता ,उसके लिए अच्छे कर्मों की आवश्यकता होती हैl

Friday, July 29, 2016

मैं और मेरी कमाई,

सिलसिला का बहुत सुंदर गाना   

मैं और मेरी कमाई,
अक्सर ये बातें करते हैं,
टैक्स न लगता तो कैसा होता?
तुम न यहाँ से कटती,
न तुम वहाँ से कटती,
मैं उस बात पे हैरान होता,
सरकार उस बात पे तिलमिलाती ,
टैक्स न लगता तो ऐसा होता,
टैक्स न लगता तो वैसा होता...
मैं और मेरी कमाई,
"ऑफ़ शोर" ये बातें करते हैं....

ये टैक्स है या मेरी तिज़ोरी खुली हुई है ?
या आईटी की नज़रों से मेरी जेब ढीली हुई है,
ये टैक्स है या सरकारी रेन्सम,
कमाई का धोखा है या मेरे पैसों की खुशबू,
ये इनकम की है सरसराहट
कि टैक्स चुपके से यूँ कटा,
ये देखता हूँ मैं कब से गुमसुम,
जब कि मुझको भी ये खबर है,
तुम कटते हो, ज़रूर कटते हो,
मगर ये लालच है कि कह रहा है,
कि तुम नहीं कटोगे, कभी नहीं कटोगे,.......

मज़बूर ये हालात इधर भी हैं, उधर भी,
टैक्स बचाई ,कमाई इधर भी है, उधर भी,
दिखाने को बहुत कुछ है मगर क्यों दिखाएँ हम,
कब तक यूँही टैक्स कटवाएं और सहें हम,
दिल कहता है आईटी की हर रस्म उठा दें,
सरकार जो है उसे आज गिरा दें,
क्यों टैक्स में सुलगते रहें, आईटी को बता दें,
हाँ, हम टैक्स पेयर हैं,
टैक्स पेयर हैं,
टैक्स पेयर हैं,
अब यही बात पेपर में इधर भी है, उधर भी...
......................

ये कहां आ गए हम.....यूँ ही टैक्स भरते भरते ...

Friday, July 22, 2016

कर्म करो

कर्म करो तो फल मिलता है ,
       आज नहीं तो कल मिलता है।

जितना गहरा अधिक हो कुँआ ,
        उतना मीठा जल मिलता है ।

जीवन के हर कठिन प्रश्न का ,
        जीवन से ही हल मिलता है।

चादर ओढ़ कर सो जा  


आज मैंने अपने आप से पूछा कि जिंदगी कैसे जीनी चाहिए ?
मुझे मेरे *कमरे* ने जवाब दिया कि

*छत ने कहा* – ऊंचा सोंचो
*पंखे ने कहा* – दिमाग ठंडा रक्खो
*घड़ी ने कहा* – समय की कदर करो
*कैलेंडर ने कहा* – वक्त के साथ चलो
*पर्स ने कहा* – भविष्य के लिए बचाओ
*शीशे ने कहा* – अपने आप को देखो
*दीवाल ने कहा* – दूसरों का बोझ बांटो
*खिड़की ने कहा* – अपने देखने का दायरा बढ़ाओ
*फर्श ने कहा* – जमीन से जुड़ कर रहो
.

फिर मैंने बिस्तर की तरफ देखा और *बिस्तर ने कहा* –
,
चादर ओढ़ कर सो जा   पागल,
बाकी सब मोह माया है।

Friday, July 8, 2016

मैं पैसा हूँ

*मैं पैसा हूँ*
मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते; मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ।
*मैं पैसा हूँ:!*
मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं नमक की तरह हूँ; जो जरुरी तो है मगर जरुरतसे ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।
*मैं पैसा हूँ:!*
इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था; मगर फिरभी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ; कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ:! आपके पास नहीं हूँ तो; आपका नहीं हूँ:! मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं सारे फसाद की जड़ हूँ; मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं:?।
*विचार करीये:*