Friday, July 8, 2016

मैं पैसा हूँ

*मैं पैसा हूँ*
मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते; मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ।
*मैं पैसा हूँ:!*
मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं नमक की तरह हूँ; जो जरुरी तो है मगर जरुरतसे ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।
*मैं पैसा हूँ:!*
इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था; मगर फिरभी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ; कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ:! आपके पास नहीं हूँ तो; आपका नहीं हूँ:! मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं सारे फसाद की जड़ हूँ; मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं:?।
*विचार करीये:*

Thursday, June 30, 2016

एक ऐसी पोस्ट जिससे
में निरुत्तर सा हो गया। सोचने को विवश !!!

मन द्रवित हुआ सो शेयर कर रहां हूँ । .......
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😑 जिंदगी के सफ़र में चलते चलते हर मुकाम पर यही सवाल परेशान करता रहा....

*कुछ रह तो नहीं गया?*

😑 3 महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जानेवाली माँ को दाई ने पूछा... कुछ रह तो नहीं गया?
पर्स, चाबी सब ले लिया ना?
अब वो कैसे हाँ कहे?
पैसे के पीछे भागते भागते... सब कुछ पाने की ख्वाईश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है ,
*वह ही रह गया है.....*

😑 शादी में दुल्हन को बिदा करते ही
शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा..."भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना?
चेक करो ठीकसे ।
.. बाप चेक करने गया तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे ।
 सब कुछ तो पीछे रह गया...
 25 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था लाड से...
 वो नाम पीछे रह गया और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था
 वो नाम भी पीछे रह गया अब ...

"भैया, देखा?
 कुछ पीछे तो नहीं रह गया?"
 बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आंसू छुपाते बाप जुबाँ से तो नहीं बोला....
पर दिल में एक ही आवाज थी...

*सब कुछ तो यही रह गया...*

😑 बडी तमन्नाओ के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था और वह पढ़कर वही सैटल हो गया ,
पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया सब कुछ चैक कर लिया कुछ रह तो नही गया ?
क्या जबाब देते कि
*अब छूटने को बचा ही क्या है ....**

😑 60 वर्ष पूर्ण कर सेवानिवृत्ति की शाम पी ए ने याद दिलाया चेक कर ले सर कुछ रह तो नही गया ;
थोडा रूका और सोचा पूरी जिन्दगी तो यही आने- जाने मे बीत गई ; *अब और क्या रह गया होगा ।*

😑 "कुछ रह तो नहीं गया?
" शमशान से लौटते वक्त किसी ने पूछा । नहीं कहते हुए वो आगे बढ़ा...
पर नजर फेर ली,
एक बार पीछे देखने के लिए....पिता की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया ।
 भागते हुए गया ,पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की और वापिस लौट आया ।।

दोस्त ने पूछा... कुछ रह गया था क्या?

भरी आँखों से बोला...
*नहीं कुछ भी नहीं रहा अब...और जो कुछ भी रह गया है वह सदा मेरे साथ रहेगा* ।।

😑 एक बार समय निकालकर सोचे , शायद पुराना समय याद आ जाए, आंखें भर आएं और आज को जी भर जीने का मकसद मिल जाए।
........में अपने सभी दोस्तों से ये ही बोलना चाहता हूँ.......
यारों क्या पता
कब इस जीवन की शाम हो जाये.......
 इससे पहले ऐसा हो सब को गले लगा लो दो प्यार भरी बातें करलो.....

*ताकि कुछ छूट न जाये।।।।।*



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Sunday, June 19, 2016

Happy father's day

Happy father's day
पत्नी जब स्वयं माँ बनने का समाचार सुनाये और वो खबर सुन, आँखों में से खुशी के आँशु टप टप गिरने लगे

तब ... आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है" 
                               

नर्स द्वारा कपडे में लिपटा कुछ पाउण्ड का दिया जीव, जवाबदारी का प्रचण्ड बोझ का अहसास कराये

तब .....आदमी.....

" पुरुष से पिता बनता है"
                           

रात - आधी रात, जागकर पत्नी के साथ, बेबी का डायपर बदलता है, और बच्चे को कमर में उठा कर घूमता है, उसे चुप कराता है, पत्नी को कहता है तू सो जा में इसे सुला दूँगा

तब..........आदमी......

" पुरुष से, पिता बनता हैं "
                             

मित्रों के साथ घूमना, पार्टी करना जब नीरस लगने लगे और पैर घर की तरफ बरबस दौड़ लगाये

तब ........आदमी......

"पुरुष से पिता बनता हैं"
                        

"हमने कभी लाईन में खड़ा होना नहीं सिखा " कह, हमेशा ब्लैक में टिकट लेने वाला, बच्चे के स्कूल Admission का फॉर्म लेने हेतु पूरी ईमानदारी से सुबह 4 बज लाईन में खड़ा होने लगे

तब .....आदमी....

" पुरुष से पिता बनता हैं "
                           

जिसे सुबह उठाते साक्षात कुम्भकरण की याद आती हो और वो जब रात को बार बार उठ कर ये देखने लगे की मेरा हाथ या पैर कही बच्चे के ऊपर तो नहीं आ गया एवम् सोने में  पूरी सावधानी रखने लगे

तब .....आदमी...

" पुरुष से पिता बनता हैं"
                          

असलियत में एक ही थप्पड़ से सामने वाले को चारो खाने चित करने वाला, जब बच्चे के साथ झूठ मूठ की fighting में बच्चे की नाजुक थप्पड़ से जमीन पर गिरने लगे

तब...... आदमी......

" पुरुष से पिता बनता हैं"
                          

खुद भले ही कम पढ़ा या अनपढ़ हो, काम से घर आकर बच्चों को " पढ़ाई बराबर करना, होमवर्क पूरा किया या नहीं" बड़ी ही गंभीरता से कहे

तब ....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता हैं  "
                             

खुद ही की कल की मेहनत पर ऐश करने वाला, अचानक बच्चों के आने वाले कल के लिए आज compromise करने लगे

तब ....आदमी.....

" पुरुष से पिता बनता हैं "
                           

ओफ़ीस का बॉस, कईयों को आदेश देने वाला, स्कूल की पेरेंट्स मीटिंग में क्लास टीचर के सामने डरा सहमा सा, कान में तेल डाला हो ऐसे उनकी हर INSTRUCTION ध्यान से सुनने लगे

तब ....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"
                           

खुद की पदोन्नति से भी ज्यादा बच्चे की स्कूल की सादी यूनिट टेस्ट की ज्यादा चिंता करने लगे

तब ....आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है "
                             

खुद के जन्मदिन का उत्साह से ज्यादा बच्चों के Birthday पार्टी की तैयारी में मग्न रहे

तब .... आदमी.......

" पुरुष से पिता बनाता है "
                              

हमेशा अच्छी अच्छी गाडियो में घुमाने वाला, जब बच्चे की सायकल की सीट पकड़ कर उसके पीछे भागने में खुश होने लगे

तब ......आदमी....

" पुरुष से पिता बनता है"                

खुदने देखी दुनिया, और खुद ने की अगणित भूले बच्चे ना करे, इसलिये उन्हें टोकने की शुरुआत करे

तब .....आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है"
                              

बच्चों को कॉलेज में प्रवेश के लिए, किसी भी तरह पैसे ला कर अथवा वर्चस्व वाले व्यक्ति के सामने दोनों haath  जोड़े

तब .......आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है "
                               

"आपका समय अलग था,
अब ज़माना बदल गया है,
आपको कुछ मालूम नहीं"
" This is generation gap "

ये शब्द खुद ने कभी बोला ये याद आये और मन ही मन बाबूजी को याद कर माफी माँगने लगे

तब ....आदमी........

" पुरुष से पिता बनता है "
                              

लड़का बाहर चला जाएगा, लड़की ससुराल, ये खबर होने के बावजूद, उनके लिए सतत प्रयत्नशील रहे

तब ...आदमी......

" पुरुष से पिता बनता है "
                            

बच्चों को बड़ा करते करते कब बुढापा आ गया, इस पर ध्यान ही नहीं जाता, और जब ध्यान आता है तब उसका कोई अर्थ नहीं रहता

तब ......आदमी.......

" पुरुष से पिता बनता है"

Saturday, June 18, 2016

जीने की राह

_युधिष्ठिर ने एक सच्चाई बताई थी_
_मरना सभी को है_
_लेकिन मरना कोई नहीं चाहता_

_आज परिस्थिति और भी गलत हैं_
_भोजन सभी को चाहिए लेकिन खेती करना कोई नहीं चाहता_

_पानी सभी को चाहिए पानी बचाना और कुए बनाना कोई नहीं चाहता_

_दुध सभी को चाहिए गाय भैस पालना कोई नहीं चाहता_

_छाया सभी को चाहिए पेड़ लगाना और उसे जिन्दा रखना कोई नहीं चाहता_

-माँ और पत्नी सभी को चाहिये और *BETI*  कोई नहीं चाहता-

_*जीने की राह* _

Thursday, June 16, 2016

मेहनतV/S किस्मत

मेहनतV/S किस्मत

एक पान वाला था।
जब भी पान खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा की भाई देर हो जाती है जल्दी पान लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नही होती।
एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।
तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैनें सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।

मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?
और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।
कहने लगा,आपका किसी बैंक में लाकर तो होगा?
उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लाकर की दो चाभियाँ होती हैं।
एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।
आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।
जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नही खुल सकता।

अाप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये। पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे।  कहीं ऐसा न हो की इश्वर अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये!!!

पाँच गजेडी

एक गाँव के बाहर बने
शिवमंदिर मे चार पाँच गजेडी
रोज गाँजा पीते थे,
पिछले कइ साल से जब भी वो
गाँजा पीते थे तब "बम भोले" का
जयकारा करते थे
चिल्लम की हर फुँक के साथ,
,
एक दिन खुद शिव जी उनके इस भक्ति माध्यम से
प्रसन्न हो गये,
,
वो एक साधारण मनुष्य के रूप मे उन गजेडीयो के
पास आ कर बैठ गये,
,
गजेडीयो ने चिल्लम बनाना शुरू किया
तो एक गजेडी ने शिव जी को
गाजा आफर किया,
,
प्रायः गजेडीयो मे मेहमानवाजी
बडे उच्च स्तर की होती है
इसलिए गजेडीयो ने पहला चिल्लम
भोलेनाथ को ही दिया,
,
एक फुँक मे ही शिव ने पुरा चिल्लम खाली कर
दिया ,
गजेडीयो को लग गया कि ये कोई उच्च
कोटी का पीने वाला है,
फिर भी
उन्होने दुसरा चिल्लम बनाया
और फिर पहला मौका भोलेनाथ को दिया
,
शिव ने फिर एक फुँक मे ही पुरा चिल्लम खाली
कर दिया,
,
हर फुक के बाद एक गजेडी, भोलेनाथ से पुछता "
नशा आया ?
,
जवाब मे शिव केवल मुस्कुरा के ना मे सर हिला
देते,
,
ऍसे कर के जब पाँच चिल्लम खाली हो गये तो
गजेडी आखिरी चिल्लम भरने लगे तभी उनमे से एक
गजेडी ने पुछा "क्यो अभी भी नशा नही हुआ?
,
तब शिव ने कहा "जानते हो मै कौन हुँ !
,
कौन हो भाऊ !
,
शिव " मै इस ससांर का सहाँरक, सभी भुत प्रेत
यक्ष असुर गंधर्व का स्वामी, ब्रम्हाड का
आदिवासी हिमालय का निवासी हुँ,
आदि
अंत प्रारंभ, नाश और नशा सब की सीमा मुझसे
प्रारंभ होती है मुझपर खत्म, शकंर नाम है मेरा,
,
जिसको तुम लोग रोज याद करते हो "
,
गजेडी जोर से चिल्लाया " अब इसको चिल्लम
मत देना बे , गाँजा चढ गया इसको

Wednesday, June 15, 2016

भगवान के साथ बैठकर एक रोटी

एक छोटे से बालक को भगवान से मिलने की जिद थी।

वह बालक माता-पिता से पूछता तो माता-पिता रोज़ एक नई छवि दिखा देते भगवान की।
बालक के ह्रदय में भगवान से मिलने की लगन बढ़ती ही गयी।

बच्चों का मन निर्मल होता है, कोई लंबी डिमांड होती नहीं उनकी भगवान से।

उस बालक को तो भगवान के साथ बैठकर एक रोटी खानी थी, बस इसी में उसकी तृप्ति थी।

एक दिन वह बालक खुद भगवान को खोजने चल पड़ा।

उस बालक ने साथ में 6 रोटियां रखीं और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा।

चलते-चलते वह एक नदी के तट पर पहुंचा जहां एक बुजुर्ग माता बैठी हुई दिखीं, उनकी आँखों में प्रेम था, किसी की प्रतीक्षा थी।

बालक को लग रहा था जैसे ये उसी की राह देख रही हो।

वह उनके पास जाकर बैठा, उनको रोटी दी और खुद भी खाई।

यही तो उसकी अभिलाषा थी, भगवान के साथ बैठकर रोटी खाने की।

बुजुर्ग माता के झुर्रियों वाले चेहरे पर ख़ुशी आ गई, आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे।

दोनों ने आपस में प्यार और स्नेह केे पल बिताये, रात घिरने लगी तो वह बालक अपने घर की ओर चला गया।

उस बालक के गायब रहने से घर में तो कोहराम मचा था।

जब वह घर पहुंचा तो माँ ने जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी।

आज वह बालक बहुत खुश था।

माँ ने उसे इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा।

बालक ने बताया:- "माँ, आज मैंने भगवान के साथ रोटी खाई, पर भगवान् बहुत बूढ़े हो गये हैं, मैं आज बहुत खुश हूँ माँ...!"

उधर बुजुर्ग माता भी जब अपने घर पहुँची तो गांववालों ने उन्हें अतिशय खुश देखकर, कारण पूछा।

वह माता बोली:- मैं दो दिन से नदी तट पर अकेली भूखी बैठी थी, मुझे पता था भगवान आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे।

आज भगवान् आए, उन्होंने मेरे साथ बैठकर रोटी खाई जाते समय मुझे गले भी लगाया।

भगवान बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते हैं।"

प्रभु मूरत तिन्ही देखि तैसी...

परोपकार का आत्मिक आनंद भी ईश्वर की अनुभूति है, इसे मत गवाँएं।

आत्मा मालिक�